ओडिशा के मोहन चरण माझी और आंध्र प्रदेश के एन चंद्रबाबू नायडू ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। जिसके बाद नायडू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गले लगाया। इसके साथ ही कई मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की। इसी कड़ी में प्रवति परीडा और कनक वर्धन सिंहदेव ने भुवनेश्वर के जनता मैदान में उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
इसके साथ ही तेलूगु देशम पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव नारा लोकेश ने आंध्र प्रदेश सरकार में मंत्री पद की शपथ ली। जनसेना प्रमुख पवन कल्याण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाए गए।
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू कल लेंगे शपथ
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर में पूर्व मुख्यमंत्री पेमा खांडू को एक बार फिर बीजेपी विधायक दल का नेता चुन लिया गया है। वह एक और कार्यकाल के लिए राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद अब पेमा खांडू राज्यपाल केटी पारनेलक से मुलाकात करेंगे और सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। इस बीच अरुणाचल प्रदेश में गुरुवार को नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं।
नायडू की मंत्रिपरिषद में 17 नए चेहरे
तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के अध्यक्ष नारा चंद्रबाबू नायडू की मंत्रिपरिषद में 17 नए चेहरे शामिल हैं। मंत्रिपरिषद में तीन महिलाएं हैं। वरिष्ठ नेता एन. मोहम्मद फारूक एकमात्र मुस्लिम चेहरा हैं। मंत्रियों की सूची में पिछड़ा वर्ग से आठ, अनुसूचित जाति से तीन और अनुसूचित जनजाति से एक व्यक्ति भी शामिल है।
नायडू ने कम्मा और कापू समुदायों से चार-चार मंत्रियों को शामिल किया है। रेड्डी से तीन और वैश्य समुदाय से एक को भी कैबिनेट में जगह मिली है। नायडू खुद सामाजिक और राजनीतिक रूप से शक्तिशाली कम्मा समुदाय से आते हैं, जबकि उनके डिप्टी पवन कल्याण कापू समुदाय से आते हैं।
आडिशा में भाजपा ने पहली बार 78 सीटें हासिल की
वहीं ओडिशा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार बहुमत के साथ जीत हासिल की है। राज्य की 147 सीटों में से भाजपा को 78 सीटें मिली हैं। वहीं, नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BJD) को 51, कांग्रेस को 14, CPI(M) को 1 और अन्य को 3 सीटों पर जीत मिली है।
24 साल बाद आदिवासी सीएम मिला
ओडिशा को 24 साल बाद आदिवासी मुख्यमंत्री मिला। इससे पहले कांग्रेस के हेमानंद बिस्वाल राज्य के पहले आदिवासी CM थे। बिस्वाल 1989-1990 और 1999-2000 तक दो बार सीएम रहे। राज्य के दूसरे आदिवासी सीएम गिरिधर गमांग थे। हालांकि उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा। बिस्वाल के बाद कांग्रेस यहां कभी सत्ता में नहीं रही।