खबरिस्तान नेटवर्क। जालंधर-फगवाडा हाईवे पर परागपुर स्थित एजीआई के फ्लैट्स से लापता वकील और उनकी महिला दोस्त की किडनैपिंग और हत्या का खुलासा हुआ है। पुलिस ने मामले में पहले डब्ल मर्डर के मामले में डब्ल उम्र कैद की सजा भुगत रहे शातिर अपराधी को गिरफ्तार किया है।
परागपुर के पास एजीआई फ्लैट्स में सातवीं मंजिल पर फ्लैट नंबर-74 (ई) से 19 अप्रैल की रात 44 साल के एडवोकेट संजीव कुमार और उसकी महिला मित्र अंजूपाल की साजिश के तहत हरविंदर सिंह बिंदर ने हत्या की । करीब चार दशक पहले बिंदर ने लुधियाना में डीएसपी बलराज सिंह गिल और उनकी महिला मित्र की हत्या की थी, जिसमें वह डबल उम्र कैद की सजा काट रहा था।
कपूरथला पुलिस ने गुजरात के कच्छ से मुख्यारोपी हरविंदर सिंह बिंदर को अरेस्ट किया है। 2 महीने पहले वह पैरोल पर आया था। 23 अप्रैल को उसे जेल लौटना था। दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक बिंदर से जब पूछा गया कि संजीव और अंजू कहा हैं तो बोला-मैंने मार दिया। पुलिस ने पूछा लाशें कहा हैं तो बोला-टेंशन क्यों ले रहे। लुधियाना में बता दूंगा। पुलिस को एडवोकेट की कार लुधियाना में मिली थी।
अंजू से नाराज था बिंदर
बिंदर के मुताबिक - उसने जेल में चिट्टा बेचा। संतोखपुरा रहने वाली अंजू को अपनी कमाई भेजता रहा। उसके पैसे से अंजू ने फ्लैट खरीद लिया। वो अब मुझ से किनारा कर अब एडवोकेट के साथ रहने लगी थी। मुझे ये बात बर्दाश्त नहीं थी, क्योंकि जब वह पैसे भेजता था तो उससे फोन पर बात करती थी, लेकिन जब मतलब निकल गया तो उसे इग्नोर करने लगी। इसलिए दो दोस्तों संग मिलकर दोनों को मार दिया। कपूरथला पुलिस ने ट्रांजिट रिमांड के लिए मुख्यारोपी लुधियाना निवासी हरविंदर सिंह बिंदर को सोमवार दोपहर मजिस्ट्रेट देना कोर्ट (जवाई ) कच्छ में पेश कर ट्रांजिट रिमांड पर लिया है।
फ्लैट से किया था किडनैप
9 अप्रैल की शाम करीब साढ़े 6 बजे संजीव अपनी कार में यह कह कर गया कि वह फ्लैट जा रहा है। 22 अप्रैल को पिता सुदेश लाल ने बेटे को कॉल की तो फोन बंद आ रहा था। अंजू का भी फोन बंद था। फ्लैट बंद था। घंटी बजाई, लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। वह वापस आ गए। दूसरे दिन 23 अप्रैल की सुबह सिक्योरिटी गार्ड से फ्लैट का ताला तुड़वाया तो अंदर डरी सहमी पलक मिली। वह बहुत घबराई हुई थी। वह कुछ बोल नहीं पा रही थी। उसने बताया कि 9 अप्रैल की देर रात तीन लोग पता नहीं कैसे घर के अंदर आ गए। उसके कमरे में एक युवक आया। उसके सिर पर पिस्तौल रखकर बोला-किसी से कोई बात नहीं करनी न ही फ्लैट से बाहर जाना है। पलक के मुताबिक वे संजीव और अंजू को को धक्के मार कर साथ ले गए। पलक डर गई थी। इसलिए वह प्लैट में रही रही। पार्किंग में संजीव की गाड़ी भी नहीं थी। थाना सदर (फगवाड़ा) की पुलिस केस की जांच कर रही थी।
पहले भी कर चुका डब्ल मर्डर

हरविंदर सिंह बिंदर ने 23 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख लिया था। लुधियाना में 2012 में उसने दो अन्य साथियों के साथ डीएसपी बलराज सिंह गिल और उनकी महिला मित्र मोनिका कपिला की हत्या की थी। लुधियाना के गोल्फ लिंक स्थित फार्म हाउस में बिंदर और उसके दो साथियों ने डीएसपी और उनकी महिला मित्र का बड़ी बेहरहमी से मर्डर किया था। लुधियाना के किचलू नगर निवासी डीएसपी और मोनिका का शव अगले दिन पुलिस को मिला था। 2012 में हरविंदर आटो चलाता था। लेबर का काम करने वाला प्रितपाल और वीडियोग्राफर उमेश के साथ मिलकर वह लग्जरी गाड़ियां चुराता था। डीएसपी और उसकी दोस्त की हत्या भी उनकी इनोवा और आप्टरा गाड़ी लूटने के लिए की गई थी।
तीनों फार्म हाउस के गेट पर पहले ही मौजूद थे। हरविंदर के पास डंडा था। डीएसपी जैसे ही गेट बंद करने लगे तो तीनों डीएसपी को हमला किया और उसके सिर पर डंडा मार दिया। तीनों अंदर गए तो मोनिका ने उन्हें देख शोर मचाया और खुद को बाथरूम में बंद कर लिया। इस दौरान डीएसपी उठे और अंदर आ गए। दोनों डीएसपी और तीसरे ने कपिला की हत्या कर दी। हत्या इतनी बेरहमी से की गई थी कि दोनों को चेहरे पहचाने नहीं जा रहे थे।
हत्या के बाद सभी हरविंदर के ही घर गए थे। आरोपियों ने फार्महाउस में खड़ी दो गाड़ियों की नंबर प्लेट भी बदल दी थी- एक शेवरले ऑप्ट्रा जिसे डीएसपी चला रहा था और दूसरी इनोवा जिसे महिला चला रही थी। दोनों गाड़ियां साथ ले गए थे। कुछ दिन तक उन्होंने कारें बेचने की कोशिश की, मगर डीएसपी का नाम सुन किसी ने गाड़ी नहीं खरीदी। फिर उन्होंने दोनों गाड़ियां अलग-अलग गांवों में छोड़ दीँ, जिन्हें बाद में पुलिस ने बरामद कर लिया था। इसके बाद बिंदर और उसके साथी अपने अपने काम में जुट गए थे। हरविदर जब पकड़ा गया तो वह रात को चौकीदारी कर रहा था। दो महीने बाद तीनों पुलिस के सामने पेश हुए।

निर्मम हत्या के तीन साल बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रिया सूद की अदालत ने तीन मुख्य आरोपियों - उमेश कादरा, प्रितपाल सिंह और हरविंदर सिंह को धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया, जबकि उनके तीन साथियों - दविंदर पाल सिंह, हसनजीत सिंह और रविंदर सिंह को साजिश के लिए दोषी ठहराया गया है।