किसी के सामने तो बच्चों को बिल्कुल भी नहीं डांटना चाहिए। क्योंकि इससे बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। परेंट्स को हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि वह कोई भी बात बच्चों को प्यार से समझाएं। माता-पिता अपने बच्चों के साथ जितना प्यार से रहेंगे और दोस्त बनकर रहेंगे बच्चे उतना ही आपसे खुलकर बात करेंगे, अपनी बातें शेयर करेंगे और आपकी बात भी मानेंगे।
रिश्ता होता है कमजोर
बच्चे जितना कनेक्ट अपने माता-पिता से करते हैं उतना शायद जिंदगी भर किसी से नहीं पाते। यह रिश्ता वक्त के साथ मजबूत होता जाता है। आपको बता दें कि बच्चों में 3-4 साल से आत्मविश्वास की भावना आने लगती है। ऐसे में जब पेरेंट्स सबके सामने बच्चों को डांटते हैं, मारते हैं या उन पर चिल्लाते हैं तो उन्हें बुरा लगता है और बच्चे माता-पिता के प्रति सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं और बच्चों का अपने ही माता-पिता पर भरोसा कमजोर हो जाता है। सिर्फ यही नहीं कुछ समय बाद बच्चे अपने ही अभिभावक की इज्जत करना बंद कर देते हैं।
कॉन्फिडेंस की कमी
कॉन्फिडेंस किसी भी इंसान की पर्सनेलिटी को बताता है। अगर व्यक्ति में कॉन्फिडेंस हो तो वह अपनी जिंदगी में कुछ भी हासिल कर सकता है। लेकिन जब पेरेंट्स द्वारा बच्चों को सबके सामने डांटा जाए, मारा जाए या उन पर चिल्लाया जाए तो बच्चों में कॉन्फिडेंस की कमी आ जाती है जो जिंदगी भर रह सकती है। इसलिए किसी बाहर वाले के सामने या सार्वजनिक जगहों पर बच्चों को कुछ भी कहने से पहले कई बार सोच लें। क्योंकि पेरेंट्स की इस हरकत से बच्चे आत्मसम्मान की कमी महसूस करने लगते हैं।
तनाव
जब कोई इंसान अंदर ही अंदर घुटता है और अपनी बातों को या परेशानियों को किसी के साथ शेयर नहीं कर पाता है तो तनाव में आ जाता है। जब पेरेंट्स अपने बच्चों को सबसे सामने भला बुरा कहते हैं तो बच्चों के साथ ऐसी ही स्थिति पैदा होती है। बच्चों को लगता है कि आखिर वह अपने ही पेरेंट्स क खिलाफ भला किससे बात कर सकते हैं? और यही वह वक्त होता है जब बच्चे धीरे धीरे तनाव में आने लगते हैं। अगर आप अपने बच्चों को दूसरों के सामने डाटेंगे, मारेंगे या फिर किसी तरह से उनकी बेइज्जती करेंगे तो बच्चों को बगावत की भावना घेरने लगती है। यानि कि बच्चों के मन में अपने अभिभावक के फैसलों के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत आती है और वह साथ ही वह अंदर अंदर ही घुटन भी महसूस करते हैं। सिर्फ यही नहीं बच्चे कुछ समय बाद अपने माता पिता को उलटा जवाब देना, उनकी बात या न मानना या उनकी बेइज्जती करना भी शुरू कर सकते हैं।
इमोशनली वीक
सबसे सामने बच्चो को डांटने, मारने और उन पर चिल्लाने से आप बच्चों को इमोशनली भी वीक बनाते हैं। जब बच्चे भावनात्मक रूप से कमजोर होने लगते हैं तो वह अपनी बातों को किसी के साथ शेयर नहीं कर पाते हैं। इसका नतीजा यह भी होता है कि बच्चे फिर बाहर जाकर भी किसी को जवाब नहीं दे पाते हैं और अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते हैं।