Gautam Gambhir has no coaching experience, then why did BCCI make him the coach : टीम इंडिया के पूर्व स्टार ओपनर गौतम गंभीर की फिर से ड्रेसिंग रूम में वापसी हो गई है। करीब 7 साल और 8 महीने के लंबे अंतराल के बाद गौतम गंभीर एक बार फिर टीम इंडिया से जुड़ गए हैं। टीम इंडिया को 2 बार वर्ल्ड चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले गंभीर अब कोच के रूप में लौट आए हैं। गंभीर के नाम की चर्चा पिछले डेढ़ महीने से हो रही थी। वैसे तो गंभीर ने आईपीएल में लगातार 3 साल टीमों के मेंटॉर की भूमिका निभाई है लेकिन उन्हें किसी भी स्तर पर डायरेक्ट कोचिंग का अनुभव नहीं है। आखिर वो क्या वजहें हैं, जो बीसीसीआई गंभीर को ही कोच बनाना चाहती थी और उसमें सफल हुई।
जीत-जीत और सिर्फ जीत
कहते हैं कि किसी भी खेल में सफल होने के लिए ‘विनिंग मेंटैलिटी’ का होना सबसे ज्यादा जरूरी है। यानी दिमाग में जीतने का जज्बा और यकीन होना चाहिए। हर खिलाड़ी या टीम इसकी बात करते हैं लेकिन कम ही ऐसे होते हैं, जो इसके सही उदाहरण साबित होते हैं। गौतम गंभीर उने दुर्लभ खिलाड़ियों में से हैं। गंभीर पहले भी कई बार कह चुके हैं कि उनके दिमाग में सिर्फ जीत चलती है, जिसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। गंभीर का रिकॉर्ड भी इसका गवाह है। उन्होंने कोलकाता नाइट राइडर्स को 2 बार कप्तान रहते हुए आईपीएल चैंपियन बनाया फिर मेंटॉर के रूप में वापसी करते हुए तीसरी बार भी जिताया।
बड़े मैचों में दमदार प्रदर्शन
2007 और 2011 के वर्ल्ड कप फाइनल्स को कौन भूल सकता है? रोहित शर्मा की कप्तानी में टी20 वर्ल्ड कप जीतने से पहले टीम इंडिया के खाते में इस सदी में यही दो वर्ल्ड कप थे और दोनों के फाइनल में ही गंभीर ने टीम इंडिया के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए। यानी गंभीर जानते हैं कि बड़े मुकाबलों में कैसे सबसे दमदार प्रदर्शन करना होता है। ये ऐसा मोर्चा है, जिसमें पिछले 10 साल में टीम इंडिया कई बार लड़खड़ाई है। सिर्फ खुद ही नहीं, बल्कि अपने कप्तान रहते हुए कोलकाता में उन्होंने अपने खिलाड़ियों से भी ऐसा ही करवाया। चाहे वो 2012 का फाइनल हो या 2014 का या फिर 2024 का आईपीएल फाइनल।
सीनियर-जूनियर नहीं, बराबर
गंभीर की कप्तानी और कोचिंग फिलॉसफी बेहद साफ है। उनकी नजरों में टीम के सभी खिलाड़ी बराबर हैं। अपने कई इंटरव्यू में वो ये बात कह चुके हैं। IPL 2024 सीजन शुरू होने से पहले केकेआर के खिलाड़ियों से पहली मुलाकात में ही गंभीर ने साफ कर दिया था कि टीम में कोई जूनियर-सीनियर या इंटरनेशनल-डॉमेस्टिक वाला भेदभाव नहीं होगा, बल्कि हर खिलाड़ी को बराबर माना जाएगा फिर चाहे वो रिजर्व में ही क्यों न हो। यानी टीम में किसी एक स्टार को तरजीह नहीं दी जाएगी, बल्कि सबको समान माना जाएगा।
बिना डरे-घबराए सीधी बात
साथ ही गंभीर खिलाड़ियों को नाकामी के बावजूद सपोर्ट करने और भरपूर मौका देने के लिए भी जाने जाते हैं। हर कोई जानता है कि गंभीर बिना कोई मसाला लगाए सीधी बात करते हैं, चाहे वो सामने वाले को पसंद आए या नहीं। टीम इंडिया में आने वाला वक्त बदलाव का है और ऐसे में रोहित शर्मा, विराट कोहली, रविचंद्रन अश्विन जैसे सुपरस्टार सीनियर खिलाड़ियों के करियर को लेकर फैसले लेने होंगे। गंभीर ये काम बखूबी कर सकते हैं क्योंकि न सिर्फ उनका कद टीम के स्टार खिलाड़ियों जितना ही बड़ा है, बल्कि वो उन्हें सीधे अपने प्लान के बारे में बताकर भविष्य पर फैसला लेने को बोलने की क्षमता रखते हैं।