पंजाब में कांग्रेस पार्टी को एक के बाद एक झटका मिल रहा है। स्व. पूर्व सांसद संतोख सिंह चौधरी की पत्नी करमजीत कौर चौधरी और तेजिंदर सिंह बिट्टू भाजपा में शामिल हो गए है। जालंधर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने इस बार चौधरी परिवार की बजाय चरणजीत सिंह चन्नी को को मैदान में उतारा है। जिस वजह से चौधरी परिवार नाराज चल रहा था।
जालंधर सीट पर चन्नी को उम्मीदवार बनाए जाने से थे नाराज
जालंधर के फिल्लौर से कांग्रेस विधायक विक्रमजीत सिंह चौधरी ने पार्टी के मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया हुआ है। दरअसल विक्रमजीत पार्टी से जालंधर लोकसभा की सीटों को लेकर नाराज हैं।
विक्रमजीत चौधरी पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के जालंधर लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाए जाने के विचार पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके थे। जालंधर की सीट आरक्षित है। जिसके बाद चन्नी को कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवार घोषित कर दिया।
जालंधर सीट पर 9 साल किया राज
वहीं इस बीच अटकलें लगाई जा रही थी कि जालंधर लोकसभा सीट पर 9 साल तक राज करने वाले चौधरी परिवार को कांग्रेस पार्टी होशियारपुर से मैदान में उतार सकती है। चौधरी परिवार भी एससी वोट पर अपनी पकड़ रखता है। बता दें कि चौधरी परिवार की नाराजगी दूर करने के लिए कांग्रेस हाईकमान ये फैसला ले सकती थी।
बिट्टू ने आज ही दिया था इस्तीफा
बता दें कि जालंधर से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के सह प्रभारी तजिंदर सिंह बिट्टू आज सुबह इस्तीफा दे दिया था। बिट्टू प्रदेश के प्रभारी सचिव और प्रियंका गांधी के करीबी रहे है।
कांग्रेस ने मेरे पति के योगदान को नहीं समझा
इसकी को लेकर अब करमजीत कौर का बयान भी आया है उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने मेरे पति के योगदान को अनदेखा किया। हमारे परिवार के खून में वफ़ादारी है। उन्होंने कहा मैं प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी सोच से प्रभावित हूं। बता दें कि 2023 में करमजीत ने लोकसभा उपचुनाव लड़ा था। जिसमें उनको हार का सामना करना पड़ा था और तब आम आदमी पार्टी से सुशील कुमार रिंकू ने जीत हासिल की थी। लेकिन रिंकू ने भी आप छोड़ भाजपा का दमन थामा है।
वहीं इससे ये देखने को मिल रहा है कि पंजाब में होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस को बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है। वहीं अगर इसी तरह पार्टी के दल बदल का दौर चलता रहा तो मुकाबला सिर्फ आप और भाजपा में देखने को मिल सकता है क्योंकि कांग्रेस के सीनियर लीडर पार्टी छोड़ रहे है।
जानकारी मुताबिक बिट्टू जालंधर से पनसप चेयरमैन और इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के चेयरमैन भी रह चुके हैं। वह करीब 12 साल तक राजनीति से दूर रहे थे। जिसके बाद उन्होंने साल 2017 में कांग्रेस के लिए दोबारा काम करना शुरू किया था।
छह विधायकों के बाद बढ़ी उथल-पूथल
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की मुश्किल उस दौरान बढ़ी जब हिमाचल के राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के छह विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार हंसराज के हित में मतदान किया। इसी उठक-पठक के बीच कुछ ही समय में उन विधायकों ने भाजपा ज्वाइन कर ली। जिसके बाद लग रहा था मानो कांग्रेस सरकार गिर जाएगी। मगर किसी तरह से सरकार संभली।