खबरिस्तान नेटवर्क: एक्सियम मिशन 4 के अंतर्गत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुए एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला के साथ-साथ 4 एस्ट्रोनॉट 28 घंटे का सफर तय करके 4 बजे इंटरनेशनल एयर स्पेस में पहुंच गए हैं। पहले उनका पहुंचने का समय 4:30 बजे था ऐसे में वह समय से 30 मिनट पहले एस्ट्रोनॉट स्पेस स्टेशन पहुंच चुके हैं। इससे पहले मिशन क्रू ने स्पेसक्राफ्ट से लाइव बातचीत भी की थी। इसमें शुभांशु ने कहा था- नमस्कार फ्रॉम स्पेस! मैं अपने सभी साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां होने के लिए बहुत ही एक्साइटेड हूं। उन्होंने कहा कि - जब हमें वैक्यूम में लॉन्च किया तो मैं बहुत अच्छा महसूस नहीं कर रहा था। मैं बहुत सोया हूं। यहां एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं अंतरिक्ष में चलना और खाना कैसे है।
मैं बस यही चाहता था
'नमस्ते फ्रॉम स्पेस मैं अपने सभी साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ यहां पर आकर बहुत ही एक्साइटेड हूं। सच कहूं तो जब मैं कल लॉन्चपैड कैप्सूल में बैठा था। 30 दिन के क्वारंटाइन के बाद मैं बस यही चाहता था कि अब चल पड़ें लेकिन जब यात्रा शुरु हुई तो ऐसा लगा जैसे आपको सीट में पीछे धकेला जा रहा हो यह एक अद्भूत राइड थी और फिर अचानक सब कुछ शांत हो गया। आपने बेल्ट खोली और आप वैक्यूम की शांति में तैर रहे थे। मैं हर उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहता हूं, जो इस यात्रा का हिस्सा रहा है। मैं समझता हूं कि यह कोई व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह आप सभी की सामूहिक उपलब्धि है, जो इस यात्रा का हिस्सा रहे हैं। मैं आप सभी को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं। परिवार और दोस्तों को भी। आपका समर्थन बहुत मायने रखता है। यह सब आप सभी की वजह से ही संभव हुआ है। हमने आपको जोय और ग्रेस दिखाए। यह हंस है, एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रतीक। यह बहुत प्यारा लगता है, लेकिन हमारे भारतीय संस्कृति में हंस बुद्धिमत्ता का प्रतीक है। मुझे लगता है कि पोलैंड, हंगरी और भारत में भी इसका प्रतीकात्मक महत्व है। यह संयोग जैसा लग सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। इसका इससे कहीं ज़्यादा अर्थ है'।
मुझे अच्छा नहीं लग रहा था
'जब हम वैक्यूम में लॉन्च हुए तब मुझे बहुत अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन कल से मुझे बताया गया है कि मैं बहुत सोया हूं, जो एक अच्छा संकेत है। मुझे लगता है कि यह एक शानदार संकेत है। मैं इस माहौल में अच्छी तरह से ढल रहा हूं। दृश्यों का आनंद ले रहा हूं, पूरे अनुभव का आनंद ले रहा हूं। एक बच्चे की तरह सीख रहा हूं- नए कदम, चलना, खुद को नियंत्रित करना, खाना, सब कुछ। यह एक नया वातावरण है, नई चुनौती है, और मैं अपने साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ इस अनुभव का बहुत आनंद ले रहा हूं। गलतियां करना ठीक है लेकिन किसी और को गलती करते देखना और भी बेहतर है। यहां ऊपर बहुत मजेदार समय रहा है। बस इतना ही कहना चाहता हूं। आप सभी को इसे संभव बनाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे यकीन है कि हम यहां बहुत अच्छा समय बिताएंगे'।
6 बार टाला गया मिशन
एक्सियम मिशन 4 के अंतर्गत 25 जून को दोपहर करीब 12 बजे सभी एस्ट्रोनॉट ISS के लिए रवाना हुए थे। ये मिशन तकनीकी खराबी और मौसमी दिक्कतों के कारण 6 बार टाला गया था। वहीं आपको बता दें कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच में हुए एग्रीमेंट के अंतर्गत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के अंतर्गत ही चुना गया है। शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारती हैं। इससे पहले 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।
गगनयान मिशन में काम आएगा शुभांशु का ये अनुभव
आपको बता दें कि शुभांशु शुक्ला का ये अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है जिसका उद्देश्य सिर्फ भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित तौर पर वापिस लाना है। इसके 2027 में लॉन्च होने की भी संभावना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री भी कहते हैं। ऐसे ही रुस में कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट कहते हैं।