21 दिसंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में पहले विश्व ध्यान दिवस का ऐतिहासिक आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन भारत के स्थायी मिशन ने किया जिसका विषय था "वैश्विक शांति और सद्भावना के लिए ध्यान". इस अवसर पर कई प्रमुख व्यक्तियों ने अपने विचार साझा किए, जिनमें यू.एन. महासभा के अध्यक्ष श्री फिलेमोन यांग, भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि श्री पार्वथानी हरीश, संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव श्री अतुल खरे, श्रीलंका के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी मिशन के चार्ज डी'एफेयर श्री सुगीश्वर गुणरत्न, और नेपाल के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि श्री लोक बहादुर थापा शामिल थे। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण श्री श्री रवि शंकर का संबोधन और ध्यान सत्र था।
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर ने अपने संबोधन में ध्यान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि एक शांतिपूर्ण मन दूसरों के लिए बेहतर वातावरण बना सकता है। उन्होंने ध्यान को एक शक्तिशाली उपकरण बताया, जो वैश्विक शांति और एकता को बढ़ावा देता है। इसके साथ ही, उन्होंने ध्यान को आधुनिक समय की समस्याओं जैसे चिंता, घरेलू हिंसा और नशे से निपटने का प्रभावी उपाय बताया। गुरुदेव ने यह भी कहा, "यदि हर देश थोड़ा सा ध्यान और विश्राम सिखाए, तो दुनिया एक बेहतर स्थान बन सकती है।"
इस कार्यक्रम में कई प्रमुख सार्वजनिक हस्तियों ने भी ध्यान के महत्व पर जोर दिया। भारतीय फिल्म निर्माता राजकुमार हिरानी ने कहा, "यह उचित है कि संयुक्त राष्ट्र इस प्राचीन अभ्यास की परिवर्तनकारी शक्ति को पहचानते हुए 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाने जा रहा है।" अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी ने कहा, "यह भारत के लिए गर्व का विषय है कि संयुक्त राष्ट्र ने 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस घोषित किया है। ध्यान मुझे बहुत शांति देता है और मैं इसे हर किसी से दैनिक अभ्यास के रूप में करने का आह्वान करती हूं।" ब्रिटिश रैपर ज़ूबी ने भी ध्यान के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा, "संघर्ष और अनिश्चितता के समय में ध्यान मानसिक शांति का मार्ग है।"
विश्व ध्यान दिवस के उपलक्ष्य में, दुनिया भर में ध्यान द्वारा एकजुटता का प्रदर्शन किया गया। यह ध्यान की लहर ऑस्ट्रेलिया से शुरू होकर 168 से अधिक देशों तक फैली। संयुक्त राष्ट्र में उद्घाटन कार्यक्रम के बाद, मलेशिया और लाओस में भारत के दूतावासों ने आर्ट ऑफ लिविंग ध्यान सत्रों का आयोजन किया।
भारत में इस आयोजन का विशेष उत्साह देखने को मिला। देशभर के विभिन्न राज्यों में, कई विधान सभाओं सहित अन्य ऐतिहासिक स्थलों पर 10 लाख से अधिक लोगों ने पहले विश्व ध्यान दिवस को यादगार बना दिया।
विभिन्न आयु वर्गों, धर्मों और समुदायों से कुल मिलाकर देश के 19,42,316 लोगों ने ध्यान सत्रों में भाग लिया। पहले ध्यान दिवस के अवसर पर कुल 25,840 शैक्षिक संस्थानों के 4,88,316 विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं अन्य लोगों ने मिलकर ध्यान किया। 200 कॉरपोरेट कंपनियों के 7,500 कर्मचारियों के लिए भी ध्यान सत्र आयोजित किए गए। 501 जेलों के 50,500 कैदियों, 1,12,000 सरकारी कर्मचारियों, 2,200 गांवों के 2,84,000 ग्रामीणों और सैकड़ों मीडिया कर्मचारियों ने भी ध्यान कर विश्व ध्यान दिवस में अपनी भागीदारी दिखाई।
यह लहर मध्य पूर्व देशों तक भी पहुंची, जहां गुरुदेव ने वर्ल्ड ट्रेड सेंटर से एक लाइव ध्यान सत्र का आयोजन किया। अब इस स्थान को शांति और आशा के प्रतीक के रूप में पहचाना जाएगा।
गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर का ध्यान के माध्यम से वैश्विक शांति को बढ़ावा देने का उद्देश्य लाखों लोगों को लाभान्वित कर चुका है। 43 वर्षों से अधिक समय से गुरुदेव ध्यान के इस वैदिक ज्ञान को आधुनिक विश्व में प्रासंगिक बना रहे हैं। उनकी पहल ने 182 देशों में 80 करोड़ से अधिक लोगों को तनावमुक्ति और शांति का मार्ग दिखाया है और 10 लाख से अधिक स्वयंसेवकों को सेवा कार्यों में शामिल किया है। उनका उद्देश्य एक शांतिपूर्ण, करुणामय और हिंसा-मुक्त विश्व का निर्माण करना है। गुरुदेव का दृष्टिकोण स्पष्ट है: "हर चेहरे पर एक मुस्कान लाना" और ध्यान के माध्यम से एक तनावमुक्त और हिंसामुक्त विश्व बनाना।