राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने संत आसाराम की अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया है। अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। इसके बाद आसाराम को 30 अगस्त तक सेंट्रल जेल में सरेंडर करना होगा। कोर्ट ने जेल में आसाराम को व्हील चेयर की सुविधा और एक सहायक उपलब्धता की छूट दी है। इसके साथ ही जरूरत पड़ने पर जोधपुर एम्स में जांच करवाई जा सकती है। हालांकि जरूरत पड़ने पर वे दोबारा आवेदन कर सकते हैं। यह आदेश जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की डबल बेंच ने दिया है।
इससे पहले हाईकोर्ट ने आसाराम की जमानत अवधि 29 अगस्त तक बढ़ाई थी। आसाराम अपने गुरुकुल की नाबालिग शिष्या से बलात्कार के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। 12 अगस्त को उसकी जमानत अवधि खत्म होने वाली थी, जिसे मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद बढ़ाया गया था। हाल ही में गुजरात हाईकोर्ट ने भी आसाराम को 21 अगस्त तक अंतरिम जमानत दी थी, जब इंदौर के अस्पताल में उसकी हालत गंभीर बताई गई थी।
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने आसाराम की स्वास्थ्य जांच के लिए अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों की एक समिति गठित करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस समिति में एक हृदय रोग विशेषज्ञ और एक तंत्रिका रोग विशेषज्ञ शामिल होंगे। साथ ही आदेश दिया गया था कि 27 अगस्त तक विस्तृत मेडिकल रिपोर्ट अदालत में पेश की जाए।
2018 में मिली थी उम्रकैद की सजा
आसाराम को 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर की विशेष POCSO अदालत ने नाबालिग के साथ रेप का दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी। आसाराम 2 सितंबर 2013 से जेल में है। दो साल पहले गुजरात की एक अदालत ने आसाराम को 2013 में अपने सूरत आश्रम में एक महिला अनुयायी के साथ कई मौकों पर बलात्कार करने के लिए दोषी ठहराया था।