जम्मू-कश्मीर का पब्लिक सेफ्टी एक्ट(PSA) एक बार फिर चर्चा में है। हाईकोर्ट ने प्रशासन से पांच लाख रुपए मुआवजा देने को कहा है। साल 2019 में प्रतिबंधित जमात ए इस्लामी के पूर्व प्रवक्ता अली मोहम्मद लोन को इस एक्ट के तहत हिरासत में लिया गया था।
बता दें कि 61 साल के अली मोहम्मद लोन अलगाववादी रहा है। वो जमात-ए-इस्लामी का सदस्य था। उसे PSA के तहत सबसे पहले 2019 में हिरासत में लिया गया था। जानकारी मुताबिक, अली तीन साल तक जेल में रहे। वो 2019 से मार्च 2024 तक जेल में रहे। फिर मामले में याचिका दायर की गई। इस याचिका में अली मोहम्मद लोन ने 25 लाख रुपए का मुआवजा मांगा।
हाईकोर्ट ने अब उस हिरासत को अवैध करार दिया है और प्रशासन से अली को अवैध हिरासत के लिए पांच लाख रुपए मुआवजा देने को कहा है। ये पहली बार है जब अदालत ने PSA के तहत हिरासत के लिए राज्य को दंडित किया है।
बता दें कि ये एक्ट अधिकारियों को किसी व्यक्ति को बिना मुकदमे को दो साल तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है। 2019 में ही कोर्ट ने लगातार तीन बार अली की PSA हिरासत को रद्द कर दिया था। लेकिन सरकार ने कोर्ट का ऑर्डर नजरअंदाज करते हुए चौथी बार अली पर PSA लगाया और हिरासत में रखा।
अली को सबसे पहली बार 5 मार्च 2019 को PSA के तहत हिरासत में लिया गया था। कोर्ट ने 11 जुलाई 2019 को हिरासत रद्द कर दी। जिसके आठ दिन बार और हिरासत में रहने के दौरान ही सरकार ने 19 जुलाई को अली खिलाफ दूसरा PSA लगा दिया।
4 बार लग चुका PSA
इसे 3 मार्च 2020 को कोर्ट ने फिर से रद्द कर दिया। तीन महीने तक जेल से बाहर रहने के बाद सरकार ने 29 जून 2020 को लगातार PSA लगाया जिसे अदालत ने 24 फरवरी, 2021 में रद्द कर दिया। 14 सितंबर, 2022 को हिरासत में लेने का चौथा आदेश निकला।