Know Whether Shani Is Auspicious Or Inauspicious : आमतौर पर शनि का नाम सुनते ही लोग घबराने लगते हैं। कुछ अशुभ होने की आशंका गहराने लगती है लेकिन सच यह है कि शनि सभी के लिए केवल अशुभ ही नहीं होते बल्कि शुभ फलदायी भी होते हैं। अगले माह यानि फरवरी में शनि की चाल बदल जाएगी। 11 फरवरी को शनि कुंभ राशि में अस्त हो रहे हैं। इसका सभी राशियों पर शुभ अशुभ असर होगा। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि शनि दरअसल न्याय के देवता हैं। अच्छे कर्मों का अच्छा फल देते हैं और बुरे कर्मों का बुरा।
न्याय का साथ देते है यह लोग
कुछ लक्षणों के आधार पर आप भी जान सकते हैं कि शनि देव आप पर मेहरबान हैं या आपसे नाराज हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी कुंडली में शनि शुभ स्थिति में होता है उनके नाखून और बाल काफी मजबूत होते हैं। शुभ शनि वाले लोग जो बोलेंगे वह साफ और स्पष्ट होता है। ऐसे लोग न्याय का साथ देते है।
सात्विक व शुद्ध भोजन पसंद
जिन लोगों पर शनि का शुभ प्रभाव होता है उन्हें सात्विक और शुद्ध भोजन ही पसंद आता है। ऐसे लोग अक्सर दूसरों की सहायता करते हैं। शनि लोगों को कर्मठ बनाता है। शनि के शुभ होने पर मनुष्य आध्यात्मिक और दार्शनिक विचारों वाला हो जाता है। इतिहास या पौराणिक ग्रंथों को पढ़ने की इच्छा बढ़ जाती है।
कर्मों के अनुसार फल देते हैं
नवग्रहों के न्यायाधीश शनि कर्मों के अनुसार फल देते हैं। अच्छे कर्मों का जहां अच्छा फल मिलता है वहीं बुरे या गलत कार्यों का दुष्परिणाम हमें शनिदेव की सजा के रूप में भुगतना पड़ता है। शनि देव अपनी महादशा, अंतरदशा, प्रत्यंतर दशा, साढ़े साती, ढैया आदि के समय अपना फल प्रदान करते हैं।
परेशानियों से राहत पाने के लिए
चूंकि व्यवहारिक रूप में जाने-अनजाने में हमसे कई गलत कार्य होते ही हैं इसलिए शनि की अवधि में हमें परेशान होना ही पडता है। शनि महादशा, अंतरदशा, प्रत्यंतर दशा, साढ़े साती, ढैया आदि के दौरान परेशानियों से राहत पाने के लिए शनिदेव की आराधना जरूरी है। अनेक छोटे मोटे उपाय या टोटके आदि भी बताए जाते हैं।
मुसीबत का असर धीरे धीरे कम
हालांकि यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के कोई भी प्रयास जल्द प्रभावी नहीं होते। इनका असर धीरे धीरे ही होता है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि सच तो यह है कि शनिदेव की पूजा-पाठ आदि से हमारी सजा कम नहीं होती बल्कि शनिदेव केवल दंड भुगतने की शक्ति और संयम ही प्रदान करते हैं।
मंत्र जाप नियमित रूप से करना
यदि शनि महादशा, अंतरदशा, प्रत्यंतर दशा, साढ़े साती, ढैया आदि ज्यादा कष्टकारी हो रही है तो शनिदेव के मंत्र जाप प्रभावी साबित होते हैं। शनि देव की प्रसन्नता के लिए मंत्र जाप नियमित रूप से करना चाहिए।
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
ज्योतिषाचार्य के अनुसार ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः यह शनि का बीज मंत्र है। शुक्ल पक्ष के शनिवार के दिन शनि की होरा में रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप प्रारंभ करें। 40 दिनों में कुल 23000 हजार जाप पूर्ण करें। विश्वासपूर्वक किए गए इस मंत्र जाप से शनिदेव की प्रसन्नता से कष्टों से कुछ हद तक मुक्ति जरूर मिलेगी।