ख़बरिस्तान नेटवर्क, चंडीगढ़ : पंजाब में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की जांच अब विजिलेंस कर रही है। 39 करोड़ रुपए का ये घोटाला कांग्रेस की सरकार में हुआ था। ऐसे में एक पूर्व मंत्री की मुश्किलें फिर बढ़ सकती हैं। जिसे पहले ही विजिलेंस ने एक मामले में गिरफ्तार किया है।
मिली जानकारी मुताबिक विजिलेंस ब्यूरो ने इस मामले में घोटाला पकड़ा था। जिसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस मामले की जांच को मंजूरी दे दी और अब इस 39 करोड़ रुपये के पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले की जांच शुरू हो गई है। वहीं अब विजिलेंस ब्यूरों एक्शन मोड में नजर आ रही है। इस घोटाले में शामिल लोगों के ऊपर सख्त कार्रवाई की जाएंगी।
पहले 6 अधिकारियों को किया था सस्पेंड
इससे पहले इस मामले में छह अधिकारियों को सस्पेंड किया गया था। इनमें से चार अधिकारी सामाजिक न्याय अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक विभाग से थे। इसके साथ ही विजिलेंस की ओर से अब सारा रिकार्ड इकट्ठा किया जा रहा है।
2020 में सामने आया था मामला
यह घोटाला साल 2020 में सामने आया था जब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। इस बीच खुलासा हुआ स्कॉलरशिप प्राइवेट इंस्टिटयूट को 16.91 करोड़ रुपए गलत तरीके से बांटे गए है। उस वक्त मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। जिसका नेतृत्व चीफ सेक्रेटरी विन्नी महाजन ने किया था। इस कमेटी ने विभाग के मंत्री साधु सिंह धर्मसोत को क्लीन चिट दे दी थी।
हालांकि फिर भी इंस्टिटयूट के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जबकि दोबारा ऑडिट प्रक्रिया हुई। इस बीच यह बात सामने आई कि अधिकारियों ने दोषी संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय संस्थानों को लाभ पहुंचाने की कोशिश की है। इस घोटाले को अंजाम देने वाले उसी विभाग के एक आईएएस अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया और उनका तबादला कर दिया गया।