शंभू रेलवे स्टेशन पर पिछले सवा महीने से डेरा जमाए बैठे किसानों के कारण जहां रेलवे को अब तक करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है। वही यात्रियों की परेशानी भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। किसान आंदोलन के कारण रेलवे ने 96 ट्रेनों का रुट डायवर्ट किया है और 46 ट्रेनों को पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। इन ट्रेनों के रुट डायवर्शन और कैंसिल होने के कारण यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं शताब्दी और वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी कई ट्रेनें तय समय से लेट पहुंच रही है। जिसका असर भी रेलवे के रेवेन्यू पर पड़ रहा है। रेलवे अब तक करीब 1.50 करोड़ से ज्यादा का रिफंड यात्रियों को कर चुका है।
किसानों के साथ मीटिंग भी नहीं कर रही सरकार
किसान जत्थेबंदियों के सदस्यों का कहना है कि जब तक उनकी मांगों को नहीं मान लिया जाता। तब तक धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। शंभू बार्डर पर और शंभू रेलवे स्टेशन पर किसान बैठे हुए हैं। अगर सरकार चाहती तो कोई न कोई हल निकालकर धरना खत्म करवा सकती है। लेकिन सरकार का कोई भी मंत्री मीटिंग नहीं कर रहा है। पहले जो मीटिंग हुई। उसमें कोई नतीजा ही नहीं निकाला गया। जिससे किसान ज्यादा खफा रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि किसानों के कारण परेशानी हो रही है। लेकिन हम कह रहे हैं कि परेशानी खुद केंद्र सरकार ने पैदा की है न कि किसानों ने। किसानों को लोगों की नजरों में नीचा दिखाने के लिए ही उनका रास्ता रोका गया और बेवजह से गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा नहीं किया जा रहा है। जितनी परेशानी आम जनता को हो रही है। उसकी जिम्मेदार केंद्र सरकार ही है।
ट्रेनो और स्टेशनों पर बढती जा रही भीड़
यूपी-बिहार जाने और आने वाले यात्रियों ने जिन रद्द ट्रेनों मे अपनी सीट की बुकिंग करवाई थी। अब उन्हें लंबी वेटिग का इंतजार करना पड़ रहा है। क्योंकि जिन ट्रेनों का रुट डायवर्ट करके चलाया जा रहा है। उन ट्रेनों मे पहले ही काफी भीड़ चल रही है और यहां तक की जनरल डिब्बों में बुरा हाल हो रहा है। एकडिब्बे में 300 से अधिक यात्री बैठ रहे हैं और खड़े होकर अलग से सफर करने को मजबूर हुए हैं। सबसे ज्यादा भीड़ लुधियाना, अंबाला और चंडीगढ़ रेलवे स्टेशनों पर हो रही है। समर स्पेशल ट्रेनों के संचालन का भी कोई खास लाभ नहीं हो रहा है।