पंजाब में भाजपा की गढ़ माने जाने वाली गुरदासपुर सीट से पार्टी के दो बड़े नेताओं ने बगावत कर दी है। ये दो नाम हैं सीनियर लीडर स्वर्ण सलारिया और पूर्व सांसद विनोद खन्ना की पत्नी कविता विनोद खन्ना। बीते शनिवार भाजपा ने 6 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की थी। सबसे पहला विरोध गुरदासपुर से सामने आया है। जहां से विनोद खन्ना 4 बार और बीते चुनाव में सनी देओल ने जीत हासिल की थी। इस बार सनी देओल की टिकट काटकर दिनेश बब्बू को टिकट दी गई है।
2019 में सनी देओल ने जीत तो हासिल कल ली थी, मगर वह फिल्मों में ही मसरूफ रहे और अपने हलके की ओर मुंह नहीं किया। इस बार लोगों में पैराशूटर लीडर को लेकर नाराजगी थी। स्वरण सलारिया और कविता विनोद खन्ना टिकट के दावेदार थे। मगर इस बार लोकल लीडर व पूर्व विधायक दिनेश बब्बू बाजी मार गए और टिकट उन्हें मिल गया।
चुनाव लड़ूंगी, किस पार्टी से ये तय नहीं
इपूर्व सांसद स्वर्गीय विनोद खन्ना की पत्नी कवीता खन्ना ने कहा है कि वह कई सालों से लोकसभा क्षेत्र गुरदासपुर से विनोद खन्ना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लोगों की सेवा कर रही हैं। गुरदासपुर संसदीय क्षेत्र मेरा परिवार है। मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि राजनीति से जो मंच मिलता है, उसका उपयोग किया जा सकता है।
कविता खन्ना ने कहा -मुझे कुछ नहीं चाहिए, इसलिए वह फैसला करती हैं कि विनोद जी ने जिस तरह से सेवा की है, उसी तरह वह भी लोगों की सेवा करती रहेगी। किसी अन्य पार्टी में जाने बारे उन्होंने कहा कि यह फैसला अभी नहीं लिया गया है पर वह इतना जरूर कहना चाहेंगी कि सभी पार्टियां समझदार हैं। मैंने अभी तक यह फैसला नहीं लिया है कि कौन सी पार्टी में जाऊं, परन्तु बातचीत दौरान उन्होंने इस बात का संदेश जरूर दे दिया कि वह चुनाव जरूर लड़ेंगी।
कविता से बेहतर सलारिया
कविता विनोद खन्ना और सलारिया की बात की जाए तो कविता विनोद खन्ना से बेहतर उम्मीदवार सलारिया हैं। कविता विनोद खन्ना ने चुनाव से कुछ महीने पहले गुरदासपुर में एक्टिव हुई हैं। एक नेता या वक्ता के तौर पर भी कविता विनोद खन्ना को पार्टी में कमजोर मानती है। यही कारण है कि उन्हें पहली बार टिकट नहीं मिली थी। उपचुनाव में टिकट मिलने के बाद वह गुरदासपुर से चली गईँ थी।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि कविता विनोद खन्ना सिर्फ टिकट की दौड़ में दौड़ती हैं। उसके अलावा लोकल स्तर पर पार्टी में कुछ खास नहीं करती हैं। वहीं, सलारिया पार्टी में लगातार एक्टिव रहे हैं। हालांकि बब्बू जिन्हें टिकट दी गई है। उनका आधार इन दोनों से ज्यादा है।
अब अगर बात करें कि इसका बब्बू को कितना नुकसान होगा तो सलारिया की वजह से तो बब्बू को नुकसान हो सकता है, मगर कविता विनोद खन्ना की वजह से पार्टी को कोई नुकसान होगा ये लगता नहीं है। वहीं राजनीति माहिरों का कहना है कि दोनों ने चुनाव लड़ने की बात इस लिए कही है कि यहां अभी तक आम आदमी पार्टी ने कोई टिकट एनाउंस नहीं की है। दोनों आप से टिकट चाहेंगे। अगर नहीं मिलती तो दोनों में से कोई आजाद नहीं लड़ेगा।
चुनाव लड़ूंगा - सलारिया
स्वर्ण सलारिया ने भी कहा है कि वे लोकल लीडर हैं और बीते कई सालों से जनसेवा फाउंडेशन चला रहे हैं। जिससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर 5 लाख लोगों को फायदा पहुंच रहा है। लोगों की समस्याएं राजनीति से ही दूर की जा सकती है, इसलिए वे चुनाव लड़ेंगे। ये चुनाव वे आजाद लड़ेंगे या अन्य पार्टी के साथ, इसका निर्णय लिया जाना बाकी है।
उपचुनाव हारे थे सलारिया
दरअसल, 2017 में विनोद खन्ना के देहांत के बाद उप-चुनावों में कविता विनोद खन्ना चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन पार्टी ने तब भी उन्हें टिकट न देकर स्वर्ण सलारिया को टिकट दिया, लेकिन भाजपा उप-चुनाव हार गई थी। वहीं, 2019 में भी कविता विनोद खन्नी की जगह सन्नी देओल को चांस दिया।
लुधियाना में बिट्टू की टिकट से नाराजगी
लुधियाना सीट से टिकट एनाउंस से पहले बीजेपी में एंट्री करने वाले रवनीत बिट्टू को टिकट मिलने का भी विरोध हो रहा है। भाजपा वर्करों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि बिट्टू की जगह पार्टी के किसी लीडर को टिकट मिलनी चाहिए थी। वहीं बीते दिनों इसी वजह पार्टी की एक मीटिंग भी रद्द करनी पड़ गई थी। भाजपा इस समय यहां डैमेज कंट्रोल के लिए जुटी हुई है।