बमबारी...विस्फोट...हर तरफ पसरी लाशें...और रूस-यूक्रेन जंग में पल-पल मौत को करीब से देखने के बाद सकुशल भारत लौटे राकेश यादव की आंखों में मौत का खौफ अभी भी साफ दिखाई देता है। उसके जेहन में हर तरफ उठती चीख-पुकार की दर्दनाक आवाजें आज भी कौंधती हैं। इन हालात में वतन वापसी की उम्मीद खो चुके राकेश ने तो एक बार तो जीवनलीला खत्म करने तक की भी कोशिश कर डाली। ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि रूस-यूक्रेन की आंखों देखी हकीकत बयां की है आठ माह बाद रूस से वापस लौटे राकेश यादव ने। वापिस देश आने पर राकेश ने राज्यसभा सांसद संत बलबीर सिंह सीचेवाल का धन्यवाद किया। जिनके बदौलत वह अपने परिवार के साथ दोबारा मिल पाया।
रूस से लौटे राकेश यादव ने किए बड़े खुलासे
राकेश यादव ने संत बलबीर सिंह सीचेवाल के सामने वहां के हालात के कई सनसनीखेज खुलासे किए। उसने बताया कि वहां यूक्रेन के ड्रोन हमले में उनका एक साथी मारा गया। उसकी जान इसलिए बच गई, क्योंकि ड्रोन देखते ही वह बंकर में कूद गया। इसी तरह एक अन्य घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि 17 जून 2024 को वहां उनके एक सहकर्मी की ग्रेनेड विस्फोट से मौत हो गई। लेकिन हैरानी तो इस बात की है कि रूसी सेना में शहीद हुए उनके साथी की मौत की खबर उनके परिवार को छह महीने बाद रूसी अधिकारियों ने दी।
रूस से लौटे राकेश यादव और पांच परिवार भी निर्मल कुटिया सुल्तानपुर लोधी पहुंचे। जिनके युवा बच्चे अभी भी वहीं फंसे हुए हैं और अभी भी लापता हैं। राज्यसभा सदस्य संत बलबीर सिंह सीचेवाल ने परिवारों को आश्वासन दिया कि वे इस मामले को विदेश मंत्रालय तक ले जाएंगे और संसद के चालू सत्र में इस मामले को उठाने का प्रयास करेंगे।
सेना जबरन बैंक से पैसे निकालती थी
राकेश यादव ने कहा कि उनके जबरन बैंक में एजेंटों की ओर से खाते खोले गए थे, जिनके पिन भी उनके एजेंटों के पास थे। उन्होंने बताया कि एजेंटों ने उनके खाते से करीब 45 लाख रुपये निकाल लिए, जो उन्हें सेना में जीवनयापन वेतन और चोट के दौरान सरकार की ओर से दिए गए मुआवजे के रूप में मिले थे। ऐसा सिर्फ उनके साथ ही नहीं, बल्कि सेना में जबरन काम करने वाले सभी भारतीयों के साथ एजेंटों ने किया है। अभी भी रूस में 25 भारतीय जंग लड़ने को विवश हैं।
होमगार्ड की बजाय जबरन रूसी सेना में करवा दिया भर्ती
रूस से लौटे राकेश यादव ने आगे बताया कि उन्हें और उनके साथ करीब पांच अन्य साथियों को एजेंट ने आठ माह पहले होम गार्ड की नौकरी के लिए वहां बुलाया था, लेकिन जैसे ही वे वहां पहुंचे, उन्हें जबरन रूसी सेना में भर्ती करा दिया गया और उनसे रूसी भाषा में एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करवाए गए। बार-बार मना करने पर पिटाई की गई।
15 दिन की ट्रेनिंग के बाद युद्ध में उतार दिया गया
15 दिनों की हथियार ट्रेनिंग के बाद उन्हें रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की आग में झोंक दिया गया। वहां हालात काफी बदतर थे। कई बार गोलीबारी और बम विस्फोट हुए, वहां बम विस्फोट में उसका हाथ भी जख्मी हो गया था। राकेश यादव के साथ पंजाब, पुणे, कश्मीर और यूपी के पांच अन्य परिवार भी निर्मल कुटिया पहुंचे।
सीचेवाल ने उठाया रूस में फंसे लोगों का मुद्दा
इन परिवारों ने संत सीचेवाल को पत्र सौंपकर रूसी सेना में फंसे अपने पारिवारिक सदस्यों की वापसी के लिए मदद की गुहार लगाई। पंजाब से रूसी सेना में फंसे दिव्यांग मनदीप के भाई जगदीप ने बताया कि तीन मार्च के बाद से उनकी मनदीप से कोई बातचीत नहीं हुई है।
वहीं, रूस में फंसे कन्हैया-दीपक कुमार के यूपी से आए परिजनों ने बताया कि ग्रेनेड फटने से युद्ध के मैदान में कन्हैया और दीपक घायल हो गए थे। परिजनों ने बताया कि जून माह के बाद उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई। संत सीचेवाल पहले ही इस मुद्दे को विदेश मंत्री के ध्यान में ला चुके हैं। भारत सरकार की मदद से कुछ लोगों की वापसी ने उनके मन में मर चुकी उम्मीद को फिर से जगा दिया था, लेकिन कुछ लोगों के आने के बाद से इस मामले में कोई अन्य कार्रवाई नहीं होने के कारण उनका सब्र टूट रहा है।
सीचेवाल ने विदेश मंत्री जयशंकर का शुक्रिया अदा किया
संत सीचेवाल ने भारत सरकार और खासकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर का शुक्रिया अदा किया। इस संबंध में पहला मामला उनके ध्यान में मार्च 2024 के दौरान पंजाब के रहने वाले गुरप्रीत और उनके साथ रूसी सेना में फंसे उनके आठ अन्य साथियों का आया था। जो विदेश मंत्रालय के सहयोग से अगस्त-सतंबर माह के दौरान वापस आए। उन्होंने भारत सरकार और विदेश मंत्रालय से भारतीयों को जल्द से जल्द वापस लाने, इस गिरोह में शामिल एजेंटों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और युवाओं को उनके हक की कमाई दिलाने की अपील की