छत्तीसगढ़ में कल यानि 18 दिसंबर को स्कूल-कॉलेज से लेकर सरकारी दफ्तरों में अवकाश घोषित किया गया है। इस दिन प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक व्यक्तित्व, गुरु घासीदास के योगदान को याद करते हुए मनाया जाता है। गुरु घासीदास जयंती न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि अन्य राज्यों में भी एक महत्वपूर्ण दिन है, जहां धार्मिक गतिविधियों, सांस्कृतिक आयोजनों और सामाजिक कार्यों के माध्यम से उनकी शिक्षाओं को याद किया जाता है।
यह अवकाश सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों, और बैंकों के लिए लागू होगा। इस दिन की विशेषता यह है कि यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि समाज में समानता, भाईचारे और समृद्धि के लिए गुरु घासीदास केभी छुट्टी रहती है।
गुरु घासीदास की जयंती
गुरु घासीदास का जन्म 1756 में छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव में हुआ था। वे एक महान संत और समाज सुधारक थे जिन्होंने अपनी teachings के माध्यम से समाज में धार्मिक समानता, जातिवाद उन्मूलन, और मानवाधिकार की बात की। उनका संदेश था कि हर इंसान का अधिकार है कि वह अपने धर्म और विश्वास के अनुसार जीवन जी सके।
गुरु घासीदास की शिक्षाओं का प्रभाव आज भी छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में महसूस किया जाता है। इस दिन, विशेष रूप से छत्तीसगढ़ में,अलग अलग धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। लोग प्रार्थना, कीर्तन, और धार्मिक यात्राएं करते हैं, जिनमें गुरु घासीदास के जीवन और उनके सिद्धांतों पर चर्चा की जाती है।