‘शुक्रिया कांस फिल्म फेस्टिवल हमारी फिल्म को यहां प्रीमियर करने के लिए। प्लीज एक और भारतीय फिल्म के लिए हमें अगले 30 वर्षों तक इंतजार न कराएं।’ शनिवार को 77वें कांस फिल्म फेस्टिवल के मंच पर यह कहते हुए इंडियन फिल्ममेकर पायल कपाड़िया ने समारोह का दूसरा सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड हासिल किया। पायल की फिल्म ‘ऑल वी इमैजिन एज लाइट’ को यहां ग्रैंड प्रिक्स अवॉर्ड से नवाजा गया। इसके साथ ही पायल यह अवॉर्ड अपने नाम करने वाली पहली भारतीय फिल्ममेकर बन चुकी हैं।
फिल्म को कांस की सबसे प्रतिष्ठित कैटेगरी ‘पाम डी’ओर’ के अंतर्गत 23 मई को प्रीमियर किया गया था। इस कैटेगरी में यह 30 साल बाद सिलेक्ट होने वाली भारतीय फिल्म थी। इससे पहले 1994 में फिल्म ‘स्वाहम’ को इस कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था। इससे पहले पायल कपाड़िया जब भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान (FTII) पुणे में पढ़ती थीं तो 2017 में उनकी शार्ट फिल्म 'आफ्टरनून क्लाउड्स' अकेली भारतीय फिल्म थी जिसे 70वें कांस फिल्म समारोह के सिनेफोंडेशन सेगमेंट में चुना गया था। इसके बाद 2021 में उनकी डाक्यूमेंट्री 'अ नाइट ऑफ नोइंग नथिंग' को कांस फिल्म समारोह के डायरेक्टर्स फोर्टनाइट कैटेगरी में चुना गया था। इतना ही नहीं फिल्म को तब बेस्ट डाक्यूमेंट्री का गोल्डन आई अवाॅर्ड भी मिला था।
भारत ने अपने नाम किए 4 अवॉर्ड
भारत के लिए 77वां कांस फिल्म समारोह शानदार रहा। एक ओर भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान FTII पुणे के चिदानंद एस नायक की कन्नड़ फिल्म 'सनफ्लाॅवर्स: वेयर द फर्स्ट वन्स टू नो' को 'ल सिनेफ' सिनेफोंडेशन सेगमेंट में बेस्ट फिल्म का पुरस्कार मिला, तो वहीं मानसी महेश्वरी की एनिमेटेड फिल्म 'बन्नीहुड' इसी सेगमेंट में तृतीय पुरस्कार मिला।