ख़बरिस्तान नेटवर्क : पाकिस्तानी नेता बिलावल भुट्टो ने फिर से भारत-पाक लड़ाई की आशंका जताई है। उन्होंने कहा कि अगर इस बार लड़ाई हुई तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी इसे रोक नहीं पाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि अगर इसी तरह से जारी रहा तो साल 2025 सबसे खूनी साल हो जाएगा। यह बयान बिलावल भुट्टों ने अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में दिया है।
भारत पर लगाया गंभीर आरोप
बिलावल भुट्टों ने अपने बयान के दौरान भारत पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं। बिलावल ने भारत पर बलूचिस्तान लिबरेशन आऱ्मी और तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान जैसे संगठनों को सपोर्ट देने का आरोप लगाया है। इसके साथ ही कहा कि क्या हर आतंकी हमले के बाद भारत को युद्ध छेड़ देना चाहिए। अगर हिंसा इसी तरह जारी रही, तो 2025 सबसे खूनी साल हो सकता है। पाकिस्तान शांति चाहता है जो दोनों देशों के हित में है।
पानी होगा लड़ाई की वजह
बिलावल ने आगे चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भारत ने पाकिस्तान का पानी रोका तो यह लड़ाई की वजह बनेगा। चाहे छोटा देश हो या बड़ा, वह पानी और अपनी जिंदगी के लिए लड़ाई लड़ेगा। बता दें कि भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया था। पाकिस्तान की 80 फीसदी खेती नदी पर निर्भर करती है और सिंधु नदी को पाकिस्तान की लाइफलाइन कहा जाता है।
क्या है सिंधु जल समझौता ?
सिंधु जल समझौता रावलपिंडी में तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी मिलिट्री जनरल अयूब खान के बीच कराची में सितंबर 1960 में हुआ था। इसमें विश्व बैंक मीडिएटर था। सितंबर 1951 में विश्व बैंक के अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ब्लेक मध्यस्थ बने।
करीब 10 साल कई बैठकों और बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच जल पर समझौता हुआ। 12 जनवरी 1961 से समझौता लागू हो गया। 6 नदियों के पानी का बंटवारा तय हुआ, जो भारत से पाकिस्तान जाती हैं। 3 पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास और सतलज) का पानी भारत को मिला। 3 पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) के पानी के बहाव को बिना बाधा पाकिस्तान को दिया गया।
62 साल पुराना है समझौता
62 साल पुराने जल समझौते के तहत भारत को सिंधु और उसकी सहायक नदियों से 19.5 फीसदी पानी मिलता है। बाकी करीब 80 फीसदी पाकिस्तान को। भारत अपने हिस्से में से करीब 90 फीसदी पानी ही उपयोग करता है। साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु घाटी को 6 नदियों में विभाजित करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। समझौते के तहत दोनो देशों के बीच प्रत्येक साल सिंधु जल आयोग की बैठक अनिवार्य है
साल 1947 में आजादी के बाद से पानी को लेकर पहला विवाद हुआ था। साल 1948 में भारत ने पानी रोक दिया और पाकिस्तान की हायतौबा के बाद 1949 में एक अमेरिकी विशेषज्ञ डेविड लिलियेन्थल ने इस समस्या को राजनीतिक स्तर से हटाकर टेक्निकल और व्यापारिक स्तर पर सुलझाने की सलाह दी। लिलियेन्थल ने विश्व बैंक से मदद लेने की सिफारिश भी की थी।