जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले के गांव में चल रहे सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच दूसरे दिन भी मुठभेड़ जारी है। इस मुठभेड़ में एक आतंकी मारा गया है। जानकारी देते हुए जम्मू जोन के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस आनंद जैन ने बताया कि सुरक्षाबलों ने शनिवार, 28 सितंबर को सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। उन्हें तीन से चार आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली थी।
जिसके बाद शाम आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर फायरिंग की, जिसमें हेड कॉन्स्टेबल बशीर अहमद की मौत हो गई। DSP और असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर घायल हुए थे। हालांकि अभी दोनों अधिकारियों की हालत अभी स्थिर है।
आतंकी सहयोगियों को गिरफ्तार किया
दूसरी तरफ, पुलिस ने शुक्रवार, 27 सितंबर को पुलवामा के अवंतीपोरा में टेरर मॉड्यूल का खुलासा किया। पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद के 6 आतंकी सहयोगियों को गिरफ्तार कियाI ये युवाओं को आतंकवाद की ट्रेनिंग देते थे। इनके पास से 5 IED, 30 डेटोनेटर, IED की 17 बैटरी, 2 पिस्टल, 3 मैगजीन, 25 राउंड, 4 हैंड ग्रेनेड और 20 हजार कैश बरामद हुआ है।
युवाओं की मदद से हमलों को अंजाम देने की साजिश थी
पुलिस ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली थी कि जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तान स्थित कश्मीरी आतंकी उन युवाओं की तलाश में हैं, जिनका ब्रेन वॉश किया जा सकता है। जांच में सामने आया कि आतंकी ने जेल में एक ओवर ग्राउंड वर्कर की मदद से कई युवाओं की पहचान की, जिन्हें अवंतीपोरा के त्राल क्षेत्र में आतंकवाद में शामिल होने के लिए प्रेरित किया गया था।
बड़े आतंकी हमले की फिराक में थे
पुलिस के मुताबिक, पाकिस्तान के आतंकी हैंडलर ने इन युवाओं की मदद से IED लगाने के लिए कुछ जगहों को सिलेक्ट भी कर लिया था। हैंडलर और IED बनाने के लिए उन युवाओं को पैसे भी दिए थे, जिससे वे इसके लिए सामान ला सकें। युवाओं को पिस्तौल, ग्रेनेड, IED भी दी गई थी।
युवाओं को टारगेट किलिंग, सुरक्षाबलों, सार्वजनिक जगहों, गैर कश्मीरी मजदूरों पर ग्रेनेड फेंकने और IED ब्लास्ट करने जैसी टेररिस्ट एक्टिविटी को अंजाम देने का निर्देश दिया गया था।
इससे पहले 12 अगस्त को सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने एक चरवाहा मॉड्यूल पकड़ा था, जिसमें 9 सदस्य थे। ये लोग ऊंचे पर्वतीय इलाकों में ढोंक (मिट्टी के झोपड़े) बनाकर रहते थे। ये लोग सांबा और कठुआ बॉर्डर से घुसपैठ करने वाले आतंकियों को ढोंक में रुकने-खाने और पहाड़ों-जंगलों में छिपने की ट्रेनिंग देते थे।