On June 15, Sun God, the king of all planets, will transit in Gemini : ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों के राशि परिवर्तन का विशेष महत्व होता है। जब भी कोई ग्रह किसी एक राशि में मौजूद होता है फिर किसी निश्चित समय में दूसरी राशि में परिवर्तन करता है तो इसका प्रभाव सभी जातकों पर शुभ और अशुभ दोनों तरह का होता है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य का विशेष स्थान है। सूर्य देव को सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्र के नजरिए से सूर्य हर एक महीने में राशि परिवर्तन करते हैं। कुंडली में सूर्य के शुभ भाव में होने पर व्यक्ति को नौकरी, मान-सम्मान और धन लाभ होता है। 15 जून को सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।
मिथुन राशि में गोचर करेंगे सूर्य
इस राशि में 1 महीने तक रहेंगे। ज्योतिषाचार्य डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि 15 जून को ग्रहों के राजा सूर्य देव मिथुन राशि में गोचर शुरू करेंगे और 16 जुलाई तक इसी राशि में मौजूद रहेंगे। खास बात ये है कि ये सूर्य देव के मित्र ग्रह की राशि है। व्यक्ति की कुंडली में सूर्य अच्छे स्वास्थ्य, प्रसिद्धि, नाम, सरकारी नौकरी, सफलता, उच्च पद के कारक होते हैं। ये हर राशि में लगभग एक महीने तक विराजमान रहते हैं।
अधिक मजबूत और बलशाली
ज्योतिषाचार्य डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष में सूर्य को तेज, मान-सम्मान और यश, उच्च पद-प्रतिष्ठा, आदि का कारक ग्रह माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य का राशि परिवर्तन एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। जिसका प्रभाव सभी राशि के जातकों पर पड़ता है। सिंह राशि के स्वामी सूर्य तुला राशि में नीचराशि तथा मेष राशि में उच्चराशिगत संज्ञक माने गए हैं। उच्च भाव में ग्रह अधिक मजबूत और बलशाली होते हैं। जबकि नीच राशि में ये कमजोर हो जाते हैं।
सूर्य का शुभ-अशुभ प्रभाव
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य के शुभ प्रभाव से तरक्की के योग बनते हैं और लीडरशीप करने का मौका भी मिलता है। ज्योतिष में सूर्य को आत्माकारक ग्रह कहा गया है। इसके प्रभाव से आत्मविश्वास बढ़ता है। पिता, अधिकारी और शासकिय मामलों में सफलता भी सूर्य के शुभ प्रभाव से मिलती है। वहीं सूर्य का अशुभ प्रभाव असफलता देता है। धन हानि और स्थान परिवर्तन भी सूर्य के कारण होता है। सूर्य के अशुभ प्रभाव से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी होती है।
प्रतिदिन के उपाय कारगर
कुण्डली विश्ल़ेषक डाॅ. अनीष व्यास ने बताया कि कि भगवान श्री विष्णु की उपासना करें। बंदर, पहाड़ी गाय या कपिला गाय को भोजन कराएं। रोज उगते सूर्य को अर्घ्य देना शुरू करें। रविवार के दिन उपवास रखे। रोज गुढ़ या मिश्री खाकर पानी पीकर ही घर से निकलें। जन्मदाता पिता का सम्मान करें, प्रतिदिन उनके चरण छूकर आशीर्वाद लें। भगवान सूर्य की स्तुति आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।