सुप्रीम कोर्ट ने खाताधारकों को बड़ी राहत देते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी ग्राहक के खाते से अनधिकृत और धोखाधड़ी वाला ऑनलाइन लेनदेन होता है, और वह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के दिशानिर्देशों के तहत तीन दिनों के भीतर शिकायत दर्ज कराता है, तो बैंक को उस नुकसान की भरपाई करनी होगी। डिजिटल बैंकिंग और ऑनलाइन लेनदेन में बढ़ती धोखाधड़ी के बीच यह फैसला ग्राहकों को सुरक्षा और विश्वास प्रदान करेगा।
बैंक को सतर्क रहने की जिम्मेदारी
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने कहा कि बैंकों को अनधिकृत और धोखाधड़ी वाले लेनदेन का पता लगाने और उन्हें रोकने के लिए उपलब्ध तकनीकों का उपयोग करना चाहिए। साथ ही, ग्राहकों को भी सतर्क रहने और किसी के साथ ओटीपी साझा न करने की सलाह दी गई। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कुछ मामलों में ग्राहक की लापरवाही भी जांच के दायरे में लाई जा सकती है।
94,204 रुपये मुआवजे का आदेश
इस फैसले के तहत भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को एक ग्राहक को 94,204 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया गया है। यह मामला 18 अक्टूबर 2021 को हुए अनधिकृत लेनदेन से जुड़ा था। सुप्रीम कोर्ट ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए SBI की याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने पाया था कि ग्राहक की ओर से किसी प्रकार की लापरवाही नहीं हुई थी।
ग्राहकों के लिए अहम संदेश
यह फैसला न केवल ग्राहकों को समय पर शिकायत दर्ज कराने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि बैंकों को अपनी सुरक्षा प्रणाली को और मजबूत करने के लिए भी बाध्य करता है। ग्राहकों को अब यह भरोसा मिलेगा कि उनकी शिकायतों पर उचित कार्रवाई की जाएगी और नुकसान की भरपाई होगी।