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New Rules from 1st July: कल से बदल जाएंगे तीन नए कानून, हिंदी नामों से जाने जाएंगे नए अधिनियम


New Rules from 1st July: कल से बदल जाएंगे तीन नए कानून,
6/30/2024 4:59:54 PM         Raj        New Rules from 1st July, Three new laws will change from tomorrow, IPC, CRPC, IEA, home ministry, Indian Police Force, Police Power, Prime Minister Narendra Modi, Home Minister Amit Shah, Central Government, Mamata Banerjee, MK Stalin, Bar Council of India             

ब्रिटिश काल से तले आ रहे IPC और CRPC कानून अब इतिहास बन जाएंगे। 1 जुलाई से तीन नए कानून लागू होने जा रहे हैं। अब से नए मुकदमे और प्रक्रिया भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) के तहत दर्ज किए जाएंगे। 15 अगस्त 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू कश्मीर में तिरंगा फहराने के बाद कहा था गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे। उसी के तहत इन कानूनी को बदला गया है।

हत्या या धोखाधड़ी समेत कई संगीन अपराधों की धाराओं के नंबर बदल जाएंगे और बलात्कार, स्नैचिंग जैसे अपराधों में अब सजा का प्रावधान भी बदल दिया गया है। पुलिस, वकील और जजों को भी इन नए कानूनों को लेकर अब अपनी नए सिरे से तैयारी करनी होगी। यह अधिनियम पुलिस की पावर को बढ़ाने वाले हैं।

बता दें कि नए कानूनों को लेकर 22 हाईकोर्ट, 142 सांसद, 270 विधायकों और आम जनता से विचार लिए गए थे। चार साल इस पर चर्चा हुई और 158 बैठकें की गई। जिसके बाद इसे पास किया गया। 

विपक्ष कर रहा कानून रोकने की मांग

वहीं इन नए कानूनों के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी और तमिलनाड़ू के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने देश के गृहमंत्री को पत्र लिखकर इन कानूनों पर पुणर्विचार करने की मांग की है। कनार्टका स्टेट ने भी हिंदी भाषा में कानूनों का नाम लिखे जाने को लेकर आपत्ति जताई है। इसे अंग्रेजी में भी लिखे जाने की मांग की है। ममता बैनर्जी ने पत्र में कहा कि जब यह कानून पास किए गए थे तब संसद में 97 सांसदों को निलंबित किया गया था। तब इन पर कानूनों पर पूरी तरह चर्चा नहीं हुई थी। अब इन पर पुणर्विचार करने की जरूरत है।

हंगामे में पास हुआ था बिल

भाजपा की केंद्र सरकार ने साल 2023 की 12 दिसंबर को अंग्रेजों के बनाए गए इन तीनों कानूनों को बदलने का बिल पेश किया था। 20 दिसंबर को इसे लोकसभा और 21 दिसंबर को राज्यसभा में मंजूरी मिली थी। इस दौरान सदन में काफी हंगामा हुआ था और विपक्ष के 97 सांसदों को निलंबित किया गया था। इसके बाद राष्ट्रपति ने 25 दिसंबर 2023 को मंजूरी दी थी। 24 फरवरी 2024 को गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि इन तीनों कानूनों को एक जुलाई को लागू कर दिया जाएगा।

हत्या हुई तो 302 नहीं लगेगी धारा 103

भारतीय न्याय संहिता के तहत अब कल से हत्या होने पर धारा 302 नहीं बल्कि नई धारा 103 लगाई जाएगी। इसी तरह के तहत एफआईआर दर्ज होगी। इसी तरह धोखाधड़ी की धारा 420 को भी खत्म करके धारा 318 का नाम दिया गया है। बहुत सारी नई धाराएं बनाए जाने के अलावा कई धाराओं को खत्म भी किया गया है। खास बात है कि अब एफआईआर ऑनलाइन भी दर्ज होगी और थाने आने पर आधे घंटे में किसी भी शिकायत की सुनवाई करनी होगी।


नए कानूनों में क्या नया है

IPC (
Indian Penal Code-1860)– नए भारतीय न्याय संहिता-2023 में कुल 356 धाराएं हैं। नए संहिता में IPC के 22 प्रावधनों को निरस्त किया गया है और IPC के 175 मौजूदा प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है। 9 नई धाराएं पेश की गई हैं।

CRPC (
Code of Criminal Procedure-1898)– नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 को प्रस्थापित किया जाएगा। इसमें कुल 533 धाराएं हैं। इसके जरिए CRPC के 9 प्रावधानों को निरस्त किया गया है। इस कानून में CRPC के 107 प्रावधानों में बदलाव होगा और 9 नए प्रावाधान पेश करने को कहा गया है।

IEA (
Indian Evidence Act-1872)- भारतीय साक्ष्य अधिनियम-1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 लागू होगा। इसमें कुल 170 धाराएं हैं। नया अधिनियम मौजूदा साक्ष्य अधिनियम के 5 मौजूदा प्रावधानों को निरस्त करेगा और बिल में 23 प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव है।


इनमें मृत्युदंड से लेकर 20 साल की सजा का प्रावधान

बलात्कार, गैंग रेप, बच्चों से दुष्कर्म, मॉब लिंचिंग समेत बहुत सारे जघन्य अपराधों में कानून कमजोर थे। जिन्हें अब ज्यादा सख्त किया गया है। इनमें मृत्युदंड से लेकर 20 साल तक की कठोर सजा का प्रावधान रखा गया है। नाबालिक से बलात्कार की सजा में मौत की सजा शामिल है।

वहीं मॉब लिंचिंग में 7 साल की सजा को मृत्यु दंड या आजीवन कारावास किया गया है। बच्चे से दुष्कर्म में अजीवन कारावास, गैंग रेप में 20 साल की कैद, महिला की रेप के दौरान मृत्यु या बेहोश होती है तो 20 साल की कठोर सजा से कम नहीं। सभी यौन अपराधों के पीड़ितों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए सजा को सात साल के बढ़ाकर 10 साल की जेल की अवधि तक किया गया है।

दर्ज हो सकेगी जीरो एफआईआर (ZERO FIR)

नए कानून के तहत अब किसी भी स्टेट या थाने में जीरो एफआईआर ZERO FIR दर्ज हो सकेगी। चाहे उनका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो। अब पुलिस थाने एफआईआर करने से मना नहीं कर सकते हैं। साथ ही जीरो एफआईआर को क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को अपराध पंजीकरण के बाद 15 दिनों के भीतर भेजना अनिवार्य होगा। जिरह अपील सहित पूरी सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग से भी होगी। सात साल या उससे अधिक सजा वाला कोई भी मामला पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना वापिस नहीं लिया जाएगा।

90 दिन में चार्जशीट, 60 दिन में होंगे आरोप तय

एफआईआर के 90 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से चार्जशीट दाखिल की जाएगी। अदालत ऐसे समय को 90 दिनों के लिए बढ़ा सकता है। जिससे जांच को समाप्त करने की कुल अधिकतम अवधि 180 दिन हो जाएगी। आरोप पत्र प्राप्त होने के 60 दिन के भीतर अदालतों को आरोप तय करने का काम पूरा करना होगा।

सुनवाई के समापन के बाद 30 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाया जाएगा। फैसला सुनाए जाने के सात दिन के भीतर अनिवार्य रूप से ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।

इन अपराधों में फोरेंसिक टीमें अनिवार्य

ये नए कानून के अनुसार सात साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक टीमों को अनिवार्य रूप से अपराध स्थलों का दौरा करना होगा। वहां की जांच करना जरूरी बनाया गया है। जिला स्तर पर मोबाइल एफएसएल की तैनाती होगी। वहीं तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। किसी भी अपराधों में शामिल होने के लिए जब्त किए गए वाहनों की वीडियोग्राफी करवाना भी जरूरी होगा।

शादी या नौकरी का झंसा देना भी बड़ा अपराध

अब शादी या नौकरी आदि के झूठे बहाने के तहत महिला के साथ बलात्कार को लेकर भी बड़ा अपराध माना जाएगा। इसके लिए दंडित करने वाले अलग प्रावधान होंगे। इसी तरह चैन मोबाइल स्नैचिंग और इसी तरह की शरारती गतिविधियों के लिए अलग प्रावधान होगा।

आजीवन कारावास में बदल सकता है मृत्युदंड

यह नए कानून कुछ केसों में राहत भी देते नजर आ रहे हैं। मृत्युदंड की सजा को कम करके अधिकतम आजीवन कारावास में बदला जा सकता है। आजीवन कारावास की सजा को कम करके अधिकतम 7 साल के कारावास में बदला जा सकता है। 7 साल की सजा को 3 साल के आरावास में बदला जा सकता है। सजा को इससे कम नहीं किया जा सकता है।

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