40 साल का तजुर्बा रखने वाले जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने रविवार को 30वें सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाल लिया। वर्तमान सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे आज ही सेवानिवृत्त हुए हैं।
चीन और पाकिस्तान से लगी सीमाओं पर व्यापक ऑपरेशनल अनुभव रखने वाले जनरल द्विवेदी इससे पहले सेना के उप प्रमुख के रूप में कार्यरत थे। अपनी लंबी और विशिष्ट सेवा के दौरान उन्होंने कई कमांड, स्टाफ और इंस्ट्रक्शनल में काम किया है।
जनरल पांडे को मिली थी एक महीने की एक्सटेंशन
बता दें कि पिछले ही महीने सरकार ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जरनल मनोज पांडे की रिटार्यरमैंट से कुछ दिन पहले ही उनका कार्यकाल एक महीने के लिए बढ़ाया था। पहले वो 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे। लेकिन उनका कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद अलग अटकलें लगाई जाती रही थीं कि लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी को नजरअंदाज किया जा सकता है। सरकार ने उन्हें सेनाध्यक्ष बनाकर सभी अटकलों पर विराम लगा दिया था।
नए चीफ को 40 साल का तजुर्बा
नए आर्मी चीफ जरनल को विभिन्न कमांड, स्टाफ, इंस्ट्रक्शनल और विदेशी नियुक्तियों में काम का करीब 40 साल का अनुभव है। 1 जुलाई 1964 को जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को दिसंबर 1984 में भारतीय सेना के जम्मू और कश्मीर राइफल्स इन्फेंट्री में कमीशन किया गया था। उपेंद्र ने अपने लंबे करियर में उन्होंने देश-विदेश में कई पदों पर काम किया। वे उत्तरी और पश्चिमी दोनों ही थिएटरों का संतुलित अनुभव रखते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी की महत्वपूर्ण कमांड भूमिकाओं में 18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स रेजिमेंट, 26 सेक्टर असम राइफल्स ब्रिगेड की कमान, असम राइफल्स (पूर्व) के उप महानिरीक्षक के रूप में काम करना शामिल हैं।
रीवा के सैनिक स्कूल से की पढ़ाई
लेफ्टिनेंट द्विवेदी की पढ़ाई सैनिक स्कूल रीवा, नेशनल डिफेंस कॉलेज और यूएस आर्मी वॉर कॉलेज से हुई है। उन्होंने डीएसएससी वेलिंगटन और आर्मी वॉर कॉलेज (महू) से भी कोर्स किया है। इसके अलावा उन्हें यूएसएडब्ल्यूसी, कार्लिस्ले, अमेरिका में प्रतिष्ठित एनडीसी समकक्ष पाठ्यक्रम में 'विशिष्ट फेलो' से सम्मानित किया गया। उनके पास रक्षा और प्रबंधन अध्ययन में एम फिल और सामरिक अध्ययन और सैन्य विज्ञान में दो मास्टर डिग्री हैं।
चीन से बातचीत में निभाई थी अहम भूमिका
जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्वी लद्दाख को लेकर चीन से चल रही बातचीत में भी अहम भूमिका निभाई थी। इससे पहले साल 2022 से 2024 के बीच उत्तरी कमान के जनरल कमांडिंग-इन-चीफ के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। बता दें कि सेना की उत्तरी कमान का काम पाकिस्तान से लगी भारतीय सरहदों की हिफाजत करना है। जिसे वह बाखूबी निभा रहे थे। जनरल द्विवेदी ने सेना का प्रभार ऐसे समय संभाला है, जब भारत चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सहित विभिन्न सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है। सेना प्रमुख के रूप में उन्हें थिएटर कमांड शुरू करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर नौसेना और भारतीय वायु सेना के साथ समन्वय करना होगा।
सर्विस के दौरान मिले कई अहम सम्मान
जनरल उपेंद्र द्विवेदी परम विशिष्ट सेवा पदक (पीवीएसएम), अति विशिष्ट सेवा पदक (एवीएसएम) और तीन जीओसी-इन-सी प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि उत्तरी सैन्य कमांडर के तौर पर जनरल द्विवेदी ने उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर सतत अभियानों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन दिया। उन्होंने बताया कि द्विवेदी सीमा मुद्दे को हल करने के लिए चीन के साथ चल रही बातचीत में सक्रिय रूप से शामिल थे। उनका भारतीय सेना की सबसे बड़ी सेना कमान के आधुनिकीकरण और लैस करने में भी योगदान था, जहां उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के हिस्से के रूप में स्वदेशी उपकरणों को शामिल करने का संचालन किया।