Marigold flowers are counted among the best medicines in the world : गेंदे के फूल को दुनिया में सर्वोतम औषधि में गिना जाता है, ये बहुत ही अच्छी औषधि है, इसमें इतनी ताकत है कि ये गंभीर से गंभीर चोट को भी ठीक कर देता है. गेंदे का फूल को मराठी में जेंडू कहते है. Indian Army भी इसे इस्तेमाल करती है। कारगिल युद्ध में जितने भी भारतीय सैनिक घायल हुए थे या जिनको चोंटे आई थी उन सबको यही इलाज दिया गया था और इसके बहुत अच्छे परिणाम आए थे। यही वजह है कि जब आप किसी भी मिलट्री हॉस्पिटल में जायेंगे तो आप देखेंगे कि जिन सैनिकों को गोली आदि से घाव होते है उनको वहां के डॉक्टर यहीं गेंदे के फूल का रस दिया जाता है और गेंदे के फूल की चटनी बनाकर उसको घाव पर लगाया जाता है।
दुनिया का सबसे बड़ा एंटीसेप्टिक
गेंदे का फूल दुनिया का सबसे बड़ा एंटीसेप्टिक है। इससे अच्छा एंटीसेप्टिक पूरी दुनिया में कहीं नहीं है। इस गेंदे के फूल को हमसे अपने घर में रखे। आजकल तो घर के गमले में भी लोग गेंदे के फूल का पौधा लगाने लगे है। आप भी लगा लीजिए। ये फूल किसी भी प्रकार की चोंट में अद्भूत काम करता है। इस गेंदे के फूल की चटनी को अगर घाव पर लगाया जाए तो बड़े से बड़ा घाव ठीक हो सकता है और अगर ये गेंदे का रस साथ में पीने को दिया जाए तो घाव और जल्दी ठीक होता है।
अपने घर में तैयार कर सकते हैं
अगर कोई डाईबेटिक पेशेंट ( शुगर का मरीज ) है और चोट लग गयी जो जल्दी ठीक नही होती और चोट धीरे धीरे गैंग्रीन (अंग का सड़ जाना) में कन्वर्ट हो जाती है। जिस हिस्से में ये होता है वहाँ बहुत बड़ा घाव हो जाता है और वो ऐसा सड़ता है कि डॉक्टर कहता है कि इसे काटकर ही निकलना है और कोई दूसरा उपाय नही है। ऐसी परिस्थिति में एक औषधि है जो गैंग्रीन को भी ठीक करती है आप औषधि अपने घर में तैयार कर सकते हैं।
गाय मूत्र डालकर चटनी बनाएं
औषधि है देशी गाय का मूत्र लीजिये (सूती के आठ परत कपड़ो में छान लीजिये) हल्दी लीजिये और गेंदे के फूल लीजिये। गेंदे के फूल की पीला या नारंगी पंखरियाँ निकालनी है फिर उसमें हल्दी डालकर गाय मूत्र डालकर उसकी चटनी बनानी है। अब चोट का आकार कितना बढ़ा है उसकी साइज़ के हिसाब से गेंदे के फूल की संख्या तय होगी, अगर चोट छोटे एरिया में है तो एक फूल। चोट काफी बड़ी है तो दो, तीन, चार अंदाज़े से लेना है।
एक्सीडेंट के केस में खूब प्रयोग
अकसर यह एक्सीडेंट के केस में खूब प्रयोग होता है क्योंकि ये लगाते ही खून बंद हो जाता है। इसको दिन में कम से कम दो बार लगाना है जैसे सुबह लगाके उसके ऊपर रुई पट्टी बांध दीजिये ताकि उसका असर बॉडी पे रहे और शाम को जब दुबारा लगायेंगे तो पहले वाला धोना पड़ेगा ! इसको गोमूत्र से ही धोना है। डेटाल का प्रयोग मत करिए। गाय के मूत्र को डेटाल की तरह प्रयोग करें। धोने के बाद फिर से चटनी लगा दें। फिर अगले दिन सुबह कर लीजिये।
सोच नही सकते इसका प्रभाव
यह इतना प्रभावशाली है आप सोच नही सकते और देखेंगे तो चमत्कार जैसा लगेगा। अगर आपने सच मे किया तब आपको इसका चमत्कार पता चलेगा। इस औषधि को हमेशा ताजा बनाके लगाना है। किसी का भी जख्म किसी भी औषधि से ठीक नही हो रहा है तो ये लगाइए। जो सोराइसिस गीला है जिसमे खून भी निकलता है, पस भी निकलती है उसे भी यह औषधि पूर्णरूप से ठीक कर देती है। गीला एक्जीमा में औषधि कारगर है, जले जख्म में भी।