Lahari Bai At Her Seed Bank millet woman : मिलेट यानी मोटे अनाज के स्वास्थय लाभों के बारे में अपनी दादी से जानने के बाद, मध्य प्रदेश की लहरी बाई ने अपना जीवन इसके अनाज के बीजों को संरक्षित करने के लिए समर्पित कर दिया। मध्य प्रदेश की बैगा आदिवासी महिला लहरी बाई को ‘अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष' के लिए ब्रांड एंबेसडर घोषित किया गया। उनके बीज बैंक में 150 से ज्यादा दुर्लभ बीजों की किस्में मौजूद हैं। इन बीजों को बचाए रखने के लिए वह समय-समय पर इनकी खेती भी करती हैं। साथ ही आस-पास के किसानों को अपने दुर्लभ बीज बांटती भी रहती हैं। बदले में वह पैसे नहीं बल्कि बीज से उगाई फसलें लेती हैं।
पर्यावरण और जैव विविधता
वह मूल रूप से बैगा आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, जो मध्य प्रदेश में एक विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह है। ऐसा माना जाता है कि इस जनजाति के लोगों को पर्यावरण और जैव विविधता का गहरा ज्ञान है, जिसे वे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाते रहते हैं। अपनी दादी से प्रेरित होकर ही डिंडोरी जिले के सिलपाड़ी के सुदूर गाँव की रहने वाली लहरी ने 18 साल की उम्र में बीज इकट्ठा करना शुरू कर दिया था।
लहरी बनीं देश की मिलेट वुमन
आस-पास के गाँवों में घूम-घूमकर जंगलों और खेतों से बीज इकट्ठा करती रहती हैं। बीज को इकट्ठा करने में मुझे खुशी मिलती है। लोग मज़ाक उड़ाते और पूछते कि मैं बीज क्यों इकट्ठा कर रही हूँ? लेकिन मैं उनसे छुपकर इन बीजों को इकठ्ठा करती गई। कुछ देसी बीज तो ऐसे हैं, जिनकी पहचान मेरे समुदाय के बुजुर्ग ही कर पाते हैं। लहरी अपने गांव में दो कमरे के मिट्टी के घर में रहती हैं, जिसमें से एक कमरा उन्होंने इन बीजों के लिए रिज़र्व रखा है।
वैश्विक केंद्र बनाने का प्रयास
उनके इस बीज संरक्षण की कहानी जब जिला कलेक्टर को पता चली, तो उन्होंने लहरी के घर जाकर उनका बीज बैंक देखा। उन्हीं की मदद से लहरी का नाम मिलेट एंबेसडर के लिए केंद्र सरकार तक पंहुच पाया। इस साल, भारत सरकार, देश को मिलेट की खेती और इसके अनुसंधान का वैश्विक केंद्र बनाने का प्रयास कर रही है। ऐसे में लहरी जैसे युवाओं का प्रयास काफी मददगार साबित हो रहा है।