अकसर आपने देखा होगा कि बहुत से लोगों का शरीर सुस्त ही रहता है। जिस कारण वे घर और ऑफिस में थी से काम नहीं का पाते हैं। दरअसल जब किसी व्यक्ति का पेट हर समय खराब रहता है तो उसका शरीर भी सुस्त रहता है।
वहीँ एक्सपर्ट्स के मुताबिक ज्यादा टार बीमारियों का कारण खराब पेट ही है। इसके लिए जिम्मेदार ख़राब खान- पान हो सकता है। बता दें पेट में गैस, कब्ज, दर्द, भूख कम लगना और उल्टी व दस्त की परेशानी अगर लम्बे समय तक हो तो ये इरिटेबल बाउल सिंड्रोम की प्रॉब्लम हो सकती है। जो आपके शरीर को काफी खराब कर सकती है।
दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत में बीते एक दशक में इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के मामले काफी बढे हैं। ये समस्या अब कम उम्र में भी देखने को मिल रही है। इस बारे में हमने जालंधर के डॉक्टर वरुण गुप्ता जो Gastroenterologist हैं, उनके मुताबिक इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का समय पर इलाज बहुत जरूरी है। अगर सही समय पर ट्रीटमेंट नहीं हुआ तो ये कोई गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है। इससे लोग मेंटल स्ट्रेस, डिप्रेशन और हमेशा थका हुआ महसूस कर सकते हैं।
आखिर क्या होती है इरिटेबल बाउल सिंड्रोम बींमारी
आपको बता दें जब आंतों में खराब बैक्टीरिया की संख्या बढ़ने लगती है तो इरिटेबल बाउल सिंड्रोम होने का रिस्क भी बढ़ जाता है। इसके पीछे पेट में इंफेक्शन का होना बढ़ा कारण बनता है। खराब बैक्टीरिया और इंफेक्शन खराब खानपान और बिगड़े हुए लाइफस्टाइल की वजह से ही होता है। वहीँ कुछ मामलों में पेट के अंदर फंगस भी जैम जाती है या किसी प्रकार की एलर्जी होने से भी आईबीएस की बीमारी होने लगती है।
गर्मियों में क्यों बढ़ जाती है ये समस्या
डॉ वरुण गुप्ता ने बताया कि इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के मामले गर्मियों में खराब खानपान की वजह से ही होते हैं। अगर किसी व्यक्ति को इस समय पेट में लगातार दर्द, लूज मोशन और वजन का कम होना महसूस होता है तो यूज़ देर न करते हुए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। ये संकेत इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के हो सकते हैं।
इरिटेबल बाउल सिंड्रोम से किस तरह से करें बचाव
पेट की बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि आप फास्ट फूड से दूरी बना लें । फास्ट फूड पेट में माइक्रोबायोम्स को धीरे धीरे खत्म करने लगते हैं जिस वजह से पाचन तंत्र बिगड़ने लगता है। इसकी वजह से ही अपच, गैस बनना और पेट फूलना जैसी समस्या होती है।
इससे बचने के लिए डाइट में हरे फल और सब्जियों को शामिल करें। कोशिश करें कि फाइबर वाले फूड्स ही खाएं। दिन में तीन से चार लीटर पानी पीने पियें। अपने सोने और जगने का समय निर्धारित करें। देर रात भोजन करने से भी बचें। रात में हल्का खाना ही खाएं। इसके अलावा एक्सरसाइज को अपने डेली रूटीन में शामिल करें।