क्या आपाक बच्चा भी 2-3 साल हो गया लेकिन कुछ बोलता नहीं है, खेलेने में रुचि नहीं दिखाता है। अगर हां तो इसे इग्नोर न करें। दरअसल इस तरह के बच्चे ऑटिज्म के शिकार हो सकते हैं। हालांकि हम में से ऐसे कम ही लोग होंगे जिन्हें ऑटिज्म के बारे में पता हो। ऐसे में लोगों को ऑटिज्म के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 2 अप्रैल यानि आज के दिन दुनियाभर में विश्व ऑटिज्म दिवस मनाया जाता है।
इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकारों के प्रति जागरुक कराना है। साथ ही इससे पीड़ित लोगों का समर्थन करना है। आइए जानते हैं ऑटिज्म क्या है, यह किन कारणों से होता है और इसके लक्षण क्या हैं।
क्या होता है ऑटिज्म
ऑटिज्म विकास से जुड़ी एक गंभीर समस्या जो बातचीत करने और दूसरे लोगों से जुड़ने की क्षमता को कम कर देती है। दरअसल यह डिसॉर्डर ऑटिज़्म तंत्रिका तंत्र पर असर करता है और प्रभावित व्यक्ति की बुद्धि, भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर व्यापक रूप से असर डालता है।
वहीं पीड़ित में अन्य तरह की एक्टिविज और व्यवहारों में असामान्यताएं देखी जाती हैं जैसे- बात करने में कठिनाई, ध्यान देने में कठिवनाई और संवेदनाओं के प्रति असामान्य प्रतिक्रियाएं, इत्यादि।
ऑटिज्म होने के कारण
वैसे तो ऑटिज्म होने के कई कारण हो सकते हैं जिसमें जन्म के समय बच्चे का वजन काफी कम होना, वायु प्रदूषण के लिए जन्मपूर्व जोखिम, maternal obesity,डायबिटीज, इम्यून डिसऑर्डर या आनुवांशिक कारण हो सकते हैं।
बता दें कि बच्चों में 2 से 3 साल की उम्र में ऑटिज्म के लक्षण नजर आने लगते हैं। ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चों की एक्टिविज पर ध्यान देकर ऑटिज्म की पहचान कर सकते हैं और बच्चो का समय पर इलाज कर उन्हें ठीक कर सकते
ऑटिज्म होने पर बच्चों में नजर आते हैं ये लक्षण
अगर बच्चे एक ही शब्द को बार-बार दोहराते हैं, पूछने पर बच्चे ने कोई जवाब न देना, खेलने में रुचि न दिखाना, अचानक से गुस्सा होना और रोने लगना, किसी से भी आंखे मिलाने में हिचकिचाना, पैरों की बजाय हाथों से ज्यादा चलना पसंद करना और बोलने की हाथों से इशारा करना ऑटिज्म के लक्षण होते हैं।
इतना ही नहीं बात न करना और लोगों पर अचानक से अटैक करना भी ऑटिज्म के लक्षण होते हैं। अगर आपके बच्चे में इस तरह के लक्षण नजर आ रहे तो वो ऑटिज्म से पीड़ित हैं। इन्हें नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से संपर्क करें।