Dense Fog of The Season was Seen : हवा में मौजूद बहुत छोटे-छोटे जलबिंदुओं के समूह से मिलकर बनता है कोहरा. ये मूलतः गैस होती है जो कंडेंसेशन की प्रक्रिया यानी भाप के पानी बनने की प्रक्रिया से गुजरती है. पानी के ये छोटे कण हवा में तैरते रहते हैं। आंखों के सामने हल्की सफेद चादर जैसी दिखाई देती है, जिससे आसपास की चीजें साफ नजर नहीं आती हैं। शहरों में ये स्थिति और खराब होती है, जहां धूल और धुएं के कण मिलकर पानी के इन कणों को और सांद्र यानी गाढ़ा बना देते हैं, जिससे बहुत करीब की चीजें भी धुंधली लगती हैं। दिल्ली से लेकर समूचे उत्तर भारत में आज सीजन का सबसे घना कोहरा देखा जा रहा है। इसकी विजिबिलिटी शून्य तक पहुंच गई है. मतलब सामने का कुछ भी देखना तक बहुत मुश्किल हो गया है। ठंड शुरू होने के बाद अब पिछले एक दो दिनों से घने कोहरे की शुरुआत हो चुकी है। कोहरे का ये सिलसिला अब दिसंबर और जनवरी में भी शायद चलता रहेगा. हालांकि आज का कोहरा इस सीजन में सबसे जबरस्त है। इससे दिल्ली और उत्तर भारत में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।
अचानक आकर चला जाता है फ्लेश फॉग
कोहरा एक प्राकृतिक स्थिति है जो कई तरह की होती है, जैसे समुद्र की सतह पर होने वाला कोहरा जिसे सी-फॉग कहते हैं. कई बार कोहरा एकदम से घना होता है और फिर तुरंत ही गायब हो जाता है, इसे फ्लेश फॉग कहते हैं. ये फॉग हवा में नमी और तापमान की वजह से अचानक आकर चला जाता है. कोहरे में देख सकने की क्षमता हजार मीटर से कम हो जाती है, इसमें हवाई जहाज तो चल सकते हैं लेकिन सड़क पर गाड़ियां चलने के लिए ये आदर्श स्थिति नहीं. 50 मीटर से कम दृश्यता होते ही सड़क पर दुर्घटनाएं होने लगती हैं।
कोहरे की देरी की वजह वेस्टर्न डिस्टर्बेंसेज
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि दिल्ली में इस बार घने कोहरे के देर से होने की वजह वातावरण में वेस्टर्न डिस्टर्बेंसेज यानि पश्चिमी विक्षोभ की कमी है इसी विक्षोभ के कारण जाड़ों के मौसम में बारिश होती है और हवा में नमी बढ़ती है. जो घने कोहरे की बड़ी वजह होती है। इस बार मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका असर कम है। यही वजह से है कि दिसंबर का महीना शुरू में गर्म सीजन के महीनों में शुमार किया गया था। हवा में शुष्की थी लेकिन अब स्थिति बदल रही है। अब आने वाले समय में घने कोहरे देखने को मिल सकते हैं।
कोहरा यानी फॉग-स्मॉग/मिस्ट में अंतर
जब दृश्यता शून्य से 50 मीटर होती है तो इसे बहुत घना कोहरा कहते हैं. जबकि 50 मीटर से 200 मीटर की दृश्यता की स्थिति को घना कोहरा कहा जाता है. 201 से 500 मीटर को मध्यम जबकि 500 से 1000 मीटर की दृश्यता वाले कोहरे को सामान्य कोहरा कहते हैं. कोहरा यानी फॉग और धुंध यानी स्मॉग/मिस्ट में अंतर है. कोहरे के धुएं के साथ मिलने पर धुंध यानी स्मॉग बनता है. साल 1905 में स्मॉग शब्द चलन में आया जो अंग्रेजी से फॉग और स्मोक से मिलकर बना है. डॉ हेनरी एंटोनी वोयेक्स ने अपने पेपर में इसका जिक्र किया, जिसके बाद से ये टर्म कहा-सुना जाने लगा।
02-03 किमी तक देख सकते हैंं सामान्य
मौसम विज्ञान में दृश्यता (visibility) उस दूरी का माप होता है, जिस तक कोई वस्तु या प्रकाश स्पष्ट रूप से देखा जा सके. सामान्य तौर पर एक सामान्य मनुष्य 02-03 किलोमीटर तक देख सकता है. एक अध्ययन के मुताबिक, हम अपनी आंखों से 20 किलोमीटर 12 मील तक की दूरी तक देख सकते हैं, लेकिन असल में दृश्यता की स्थिति हवा में मौजूद नमी, धूलकण और अन्य प्रदूषकों पर निर्भर करती है, ये हमारी आंखों को अधिक दूरी तक देखने से रोकते हैं. कोहरा धुंध से घना होता है और अपेक्षाकृत ज्यादा वक्त तक रह सकता है क्योंकि इसमें पानी के कण धुंध से ज्यादा होते हैं।
जान भी बचाता है, पानी बनाने की कोशिश
कोहरा कई सभ्यताओं में ये जान बचाने वाला भी बनता रहा है। कई जगहों पर जहां पीने के पानी की कमी होती है, वे पेड़-पौधों के नीच बर्तन रख देते हैं ताकि पानी जमा हो सके. हालांकि ये तरीका ज्यादा असरदार नहीं है. अब फॉग कैचर भी एक टर्म चलन में आया है. इसमें तकनीकी विशेषज्ञ बड़ी सी जगह पर जमा फॉग को पानी में बदलने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पानी की कमी से निजात मिल सके.बेलाविस्टा और पेरू में फॉग कैचर काफी काम कर रहे हैं. बेलाविस्टा में नदी, झील या ग्लेशियर नहीं हैं, जिसकी वजह से पानी की कमी आम लेकिन गंभीर समस्या है. साल 2006 से वहां फॉग कैचर ने काम शुरू किया ताकि पानी की कमी से निजात मिल सके।
हरदम कोहरे से ढंकी रहती है ये जगहें
दुनिया की कई ऐसी जगहें भी हैं, जो हर वक्त कोहरे से ढंकी रहती हैं. कनाडा के न्यूफाउंडलैंड द्वीप के पास ग्रांड बैंक्स नाम की जगह दुनिया की सबसे ज्यादा कोहरे से ढंकी जगह है जो अटलांटिक महासागर में आती है.उत्तर की ओर से चलने वाली ठंडी लेब्राडोर करंट और पूर्व की ओर से आने वाली गर्म गल्फ हवाएं ग्रांड बैंक्स को हर वक्त घने कोहरे से ढंकी रहती हैं. इसके बाद क्रमशः चिली के अटाकामा कोस्ट, इटली की पो वैली, स्विटरलैंड के मध्यवर्ती पठार, अफ्रीका का नामिब रेगिस्तान, अटलांटिक कोस्ट का मिस्टेक आइलैंड, कैलीफोर्निया का सैन फ्रांसिस्को, कैलीफोर्निया का ही पॉइंट रेयेज़ और न्यूजीलैंड के हेमिल्टन को दुनिया में सबसे ज्यादा कोहरे में ढकी जगहों में शुमार किया जाता है।