देश की हिंदी बेल्ट के तीन बड़े राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की बड़ी जीत का असर पंजाब के निकाय चुनाव पर पड़ेगा। जनवरी में संभावित नगर निगम चुनाव टल सकते हैं। तीनों राज्यों में आप का प्रदर्शन बेहद खराब रहा।
राजनीतिक माहिरों का मानना है कि ऐसे माहौल में APP सरकार पंजाब में निकाय चुनाव करवाने का रिस्क नहीं लेगी। सरकार का सारा ध्यान अगले साल मार्च-अप्रैल में होने जा रहे लोकसभा चुनाव पर ही रहने की संभावना है। पूरी संभावना है कि निकाय चुनाव अब लोकसभा चुनाव के बाद ही हों।
अभी तक पांचों निकायों पर भाजपा, अकाली दल और कांग्रेस का कब्जा है। आप को पहली बार ये चुनाव लड़ने हैं। 5 नगर निगमों में होने वाले चुनाव सारी पार्टियों के लिए अति महत्वपूर्ण हैं। चुनाव भले ही स्थानीय स्तर पर हों लेकिन इसके नतीजों का असर आगामी लोकसभा चुनाव पर भी पड़ना तय है। यही कारण है कि पंजाब में आप के साथ-साथ बाकी पार्टियां भी निकाय चुनाव नहीं करवाना चाहेंगीं।
200 उम्मीदवार उतारे थे मैदान में
दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने के बाद पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में AAP का जनाधार बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने तीन राज्यों में 200 उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। जिसमें से एक भी अपनी जमानत नहीं बचा सका। गुजरात में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया था और पांच विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की और साथ ही पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने में सफलता हासिल की।
एक प्रतिशत से कम मिले वोट
केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान ने तीन राज्यों में अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी। उन्होंने इन तीनों राज्यों में कई रैलियां कीं और बड़ी जनसभाओं को भी संबोधित किया। इसके बावजूद इन तीनों राज्यों में भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला रहा।
इन राज्यों में रिकॉर्ड मतदान के बावजूद आम आदमी पार्टी को एक प्रतिशत से ज्यादा वोट नहीं मिला। चुनाव आयोग के आंकड़ों को देखा जाए तो छत्तीसगढ़ में 0.97% वोट मिलता दिख रहा है, जबकि मध्यप्रदेश में 0.42% और राजस्थान में 0.37% वोट मिल रहा है। जोकि उम्मीद से बहुत कम है।
जनवरी में खत्म हो चुका कार्यकाल
नगर निगम चुनाव लड़ने की राह देख रहे नेताओं को अभी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। इसी साल 24 जनवरी को पिछले निगम सदन का कार्याकाल खत्म हो चुका है। मौजूदा सरकार एक साल बीतने को है अभी तक चुनाव नहीं करवा पाई। हालांकि पिछले महीने दावा किया जा रहा था कि राज्य चुनाव कमीशन किसी भी समय चुनाव की घोषणा कर सकता है।
इन पांच जिलों में हैं चुनाव
लुधियाना, जालंधर, अमृतसर, फगवाड़ा और पटियाला में नगर निगम कराए जाने हैं। स्थानीय सरकार ने राज्य चुनाव कमीशन को 15 नवंबर 2023 तक 5 नगर निगम के चुनाव करवाने को लेकर अधिसूचना जारी भी की थी। पंजाब में 39 नगर काउंसिल व नगर पंचायतों का कार्याकाल भी इसी साल खत्म होने जा रहा है। लेकिन अहम बात ये है कि पंजाब सरकार नगर निगम व 39 नगर काउंसिल व नगर पंचायत चुनाव एक साथ करवाने के मूड में नहीं है। इसलिए अब नगर निगम और नगर काउंसिल के अलग-अलग चुनाव होने हैं।
भाजपा में भरा जोश
परिणाम के एक दिन पहले तक भाजपा के कार्यकर्ताओं के हौसले पस्त थे, लेकिन चुनाव परिणाम में इतने बड़े फेरबदल के बाद अब भाजपा में फिर से जान आ गई है। इस जीत का जश्न पंजाब में भी भाजपा ने बड़े स्तर पर मनाया। पंजाब में इन पांचों निकायों की शहरी सीटों पर भाजपा का दबदबा रहा है। अगर चुनाव जल्दी होते हैं तो टक्कर कांटे की होगी।
चुनाव में देरी के ये भी कारण
पंजाब के पांच नगर निगमों के चुनाव अन्य कारणों के चलते भी टलते आ रहे हैं। इन निगमों में अब तक वार्डबंदी का काम पूरा नहीं हो सका है। यह काम आखिरी चरण में है। राज्य चुनाव आयोग ने मतदाता सूचियों के अंतिम प्रकाशन की तिथि बढ़ा दी है।
अमृतसर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला के जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर वोटर सूचियों के संशोधन से जुड़ा काम अब 21 नवंबर तक पूरा के आदेश दिए गए हैं। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार की तरफ से अमृतसर, फगवाड़ा, जालंधर, लुधियाना और पटियाला में नगर निगम पहले 15 नवंबर तक करवाने की योजना थी।
वार्डबंदी को लेकर चल रहे कोर्ट केस
सरकार की तरफ से नगर निगम में करवाई जा रही वार्डबंदी के खिलाफ विपक्षी पार्टियों ने अदलातों का दरवाजा खटखटा रखा है। उनके मुताबिक वार्डबंदी सही तरीके से नहीं की गई है। इसमें कई खामियां हैं। इनको दूर करने की मांग की जा रही है। अदालत में केस पर फैसला सुरक्षित रखा गया है।
इसके अलावा कुछ निगमों में वार्डबंदी को लेकर समय लग रहा है। क्योंकि लाेगों की ओर से दिए दावे और आपत्तियों की संख्या अधिक है। इसके अलावा सरकार भी पिछली गलतियों से सबक लेते हुए कोई ऐसा कोई कदम उठाने के पक्ष में नहीं है, जिससे बाद में परेशानी उठानी पड़ी।
एक सीट पर कई दावेदार
आप के लिए इस समय में चुनाव करवाना लोकसभा में खतरे की घंटी बन सकता है। निकाय चुनाव को लेकर आप ने एक-एक वार्ड में कई-कई दावेदारों को थापी दे रखी है। कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल छोड़कर आप में शामिल हुए पूर्व पार्षदों को भी टिकट का इंतजार है। टिकट तो किसी एक को ही मिलेगी।
आप कैडर में से किसी को टिकट नहीं मिलती है तो वह नाराज हो जाएंगे और अगर दूसरी पार्टियों से आए नेताओं को टिकट नहीं मिलती है तो वे बागी हो जाएंगे। जिसका सीधा असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा। इसलिए आप किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेने से बचेगी। चुनाव न करवा कर आप अपने कैडर को लोकसभा में साथ लेकर चलना ही पसंद करेगी।