BJP now faces the challenge of choosing Chief Minister : हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने एग्जिट पोल और राजनीतिक पंडितों को धता बताते हुए स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। लगातार तीन बार प्रदेश में जीत की हैट्रिक लगाना पार्टी के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं है। हालांकि प्रदेश में मुख्यमंत्री के चेहरे पर आखिरी मुहर लगानी बाकी है। जिस तरह भाजपा ने चुनाव से पहले इस मुद्दे को शांत रखा, वैसी ही उम्मीद मतगणना के बाद भी की जा रही है।
हर मोर्चे पर ऑलराउंड प्रदर्शन
भारतीय जनता पार्टी ने एक नहीं बल्कि हर मोर्चे पर ऑलराउंड प्रदर्शन करके सबको दिखा दिया है कि जमीनी स्तर पर अच्छे काम करके सत्ता में लगातार वापसी की जा सकती है। भले ही चुनाव से पहले किसान और बेरोजगारी जैसे मुद्दे पार्टी के ऊपर हावी हो रहे थे, लेकिन जमीनी स्तर पर जनता को मिल रही बिजली, पानी और सड़क की सुविधा ने ज्यादा असर दिखाया, तभी तो पार्टी ने सिर्फ सीट की संख्या ही नहीं बल्कि वोट शेयर में भी बढ़ोतरी दर्ज की है।
फैसले का धैर्य से इंतजार करेंगे
वैसे कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी नायब सिंह सैनी को ही एक बार फिर मौका दे सकती है। यह बात बहुत हद तक हरियाणा के दिग्गज भाजपा नेता अनिल विज के रुख पर भी निर्भर करेगा। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने की उनकी महत्वाकांक्षा जगजाहिर है। कई बार सार्वजनिक मंचों से भी वह इसका जिक्र कर चुके हैं।अनिल विज क्या अब अपनी इस मांग को और मुखर करेंगे या फिर पार्टी हाईकमान के फैसले का पूरे धैर्य से इंतजार करेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।
बैठने की महत्वाकांक्षा जगजाहिर
पिछली बार 2019 में पार्टी को 36.49 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे और 40 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं इस बार उसने 39.94 प्रतिशत वोटों के साथ 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। भले ही भाजपा अर्धशतक लगाने से चूक गई लेकिन पहले से बेहतरीन स्ट्राइक रेट के साथ टीम ने मैच को अपने पाले में कर लिया। अब मुख्यमंत्री का सेहरा किसके सिर बंधता है यह देखना दिलचस्प होगा।