स्मार्ट वाच न सिर्फ आपको सही टाइम बताती है बल्कि आपकी सेहत का ख्याल भी पूरी तरह से रखती है। दरअसल स्मार्ट वॉच आपके ब्लड प्रेशर से लेकर हार्ट बीट और स्ट्रेस लेवल तक काफी कुछ बता देती है। इसकी मदद से आप ज़रूरत के मुताबिक सही जानकारी पा कर अपने इलाज के लिए सही फैसला ले पाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये स्मार्ट वॉच किस तरह से काम करती है। तो चलिए आपको बताते हैं। दरअसल दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आज हर क्षेत्र की तरह हेल्थ सेक्टर में भी AI की मदद से बीमारी को पहचानने से लेकर उसके जल्द और उचित इलाज के लिए सही जानकारी मुहैया करवा रही है।
आपको बता दें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक जहां विश्व स्वास्थय संगठन का स्टैंडर्ड 1,000 मरीज पर 1 डॉक्टर का होना है। वहीं हमारे देश में 834 मरीजों के लिए 1 डॉक्टर मौजूद है। हालांकि हिंदुस्तान की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए इसे और बेहतर बनाने की जरूरत है। ऐसे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद डॉक्टरों के लिए एक बेहद मददगार तरीका साबित हो सकता है। ये बीमारी की जल्दी और सही पहचान से लेकर फोकस्ड इलाज तक में हेल्प कर रही है। वाही आपको ये भी बता दें कि आखिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी की AI क्या है और किस तरह से हेल्थ सेक्टर में काम करता है।
आखिर क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
आपको बता दें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक तरह की तकनीक है जो कंप्यूटर और मशीनों का उपयोग करके इंसान के दिमाग का अनुकरण करने की कोशिश करती है। वहीँ जब इसे हेल्थ सेक्टर में इस्तेमाल किया जा रहा है तो इससे किसी बीमारी को जल्दी डिटेक्ट करने में मदद मिलती है। इसकी मदद से इलाज जल्दी संभव हो पाता है, डॉक्टर का काम आसान हो जाता है और डॉक्टर किसी नतीजे तक जल्दी ही पहुंच पाते हैं।
कैसे कम करती है एआई
दरअसल एआई में कंप्यूटर और मशीन के अंदर मरीज से जुड़ा हर तरह का डाटा अपलोड कर दिया जाता है। जिसके बाद एआई मरीजों के पुराने रिकॉर्ड, मेडिकल हिस्ट्री और शरीर में अन्य दूसरी बीमारियों को समझ कर उनका जल्द और सही इलाज बताता है। साथ ही मरीज को पर्सनलाइज्ड इलाज का सुझाव देता है जिससे डॉक्टर को मरीज से जुड़े किसी भी निर्णय को लेने में काफी कम समय लगता है।
हेल्थ सेक्टर में हो रहा है इसका फायेदा
दरअसल AIIMS के बायोकेमिस्ट्री डिपार्टमेंट में एडिशनल प्रोफेसर डॉ. अशोक शर्मा के मुताबिक एआई की मदद से उनका काम पहले के मुकाबले इजी हो चूका है। एम्स दिल्ली में 30 नवंबर 2023 को एआई आधारित iOncology.ai लॉन्च किया गया है जिससे महिलाओं में बढ़ते सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर को समय रहते डिटेक्ट करना आसान हो गया है। वहीँ एम्स में मौजूद iOncology.ai की मदद से सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाकर उसका ट्रीटमेंट हो रहा है।
इसके अलावा आंखों के इलाज में कैटरेक्ट सर्जरी, चश्मा हटाने के ऑपरेशन से लेकर रेटिना के ऑपरेशन में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मदद कर रहा है। एआई तकनीक सर्जन और डॉक्टर का कौशल बढ़ा देती है। जिससे बेहतर रिजल्ट आ रहे हैं, अब पहले के मुकाबले सर्जिकल ट्रीटमेंट आसान हो गये हैं।
एआई किन बिमारियों के डिटेक्शन में हेअल्प कर रही है
- एआई एल्गोरिदम्स की मदद से मेडिकल इमेजिंग डाटा जैसे एक्स-रे, एमआरआई और सीटी स्कैन को समझने के साथ ही किसी भी तरह के कैंसर का पता लगाने और सही इलाज बताने में इसकी मदद ली जा रही है।
- इसके यूज़ से ब्रेन स्कैन और पेशेंट डाटा चेक करने के बाद दिमाग से जुड़ी बीमारियों जैसे कि अल्जाइमर, पार्किंसन और ब्रेन स्ट्रोक का पता आसानी से लग जाता है
- एआई एल्गोरिदम्स इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम यानि ECG और अन्य डाटा को जांचकर दिल की धड़कन का बढ़ना, हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर का पता लगाने में भी सक्षम है। इससे हार्ट संबंधी बीमारियों को समय रहते पहचान कर इलाज करने में मदद मिल रही है।
- ये डायबिटिक रैटिनोपैथी और ग्लूकोमा जैसी समस्याओं को भी डिटेक्ट करने में सक्षम है। साथ ही इसकी मदद इनसे जुड़ी सर्जरी में भी ली जा रही है।
- एआई की मदद से स्किन इमेजिस को एनालाइज किया जा रहा है जो मेलानोमा, सोरायसिस और एक्जिमा जैसी बीमारियों का पता लगाने में काफी हेल्प कर रहा है।
- मेडिकल इमेजिंग, लेबोरेटरी टेस्ट में भी ये काफी कारगर साबित हो रहा है। इसकी मदद से टीबी, मलेरिया और अब कोविड-19 जैसी बीमारियों का पता लगाया जा रहा है।
रोबोटिक सर्जरी में AI तकनीक काम कर रही है
बहुत बार ऐसा होता है जहां सर्जन का हाथ का किसी पेशेंट की सर्जरी में आसानी से नहीं पहुँच पाता है। ऐसे में एआई की मदद से रोबोट्स द्वारा सर्जरी करके उस पेशेंट को राहत दी जाती है। रोबोटिक सर्जरी में पूरा कंट्रोल एक कंप्यूटराइज्ड कंसोल पर बैठे सर्जन के हाथों में होता है और वो रोबोट के जरिए इस सर्जरी को अंजाम दे पाता है। इस तकनीक में रोबोट्स डॉक्टर के हाथों की तुलना में ज्यादा स्पीड से काम करते हैं। जिससे इस सर्जरी की मदद से मुश्किल से मुश्किल सर्जरी आसान हो रही है।
AI से खुल रहे हैं नई नौकरियों के दरवाजे
आपको बता दे आने वाले समय में मेडिकल स्टूडेंट्स को AI तकनीक और प्रोग्रामिंग सिखाने की आवश्यकता होगी क्योंकि अभी तक इस तकनीक को इस्तेमाल करने के लिए ट्रेंड और स्किल्ड डॉक्टर और हेल्थ वर्कर्स की कमी है। इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सुनहरा मौका है। वहीँ इसको सिखाने के लिए इंटीग्रेटिड प्रोग्राम्स शुरू किये जाने चाहिए जिससे इस क्षेत्र में नई नौकरियों के अवसर पैदा पएं। हालांकि भारत में ये तकनीक अभी नई है, इसलिए डिमांड और सप्लाई में भारी अंतर होने की वजह से इस पर खर्च ज्यादा है। लेकिन जब रुटीन में एआई का इस्तेमाल शुरू किया जाने लगेगा तब इसकी कॉस्ट में कमी देखने को मिल सकती है।