खबरिस्तान नेटवर्क: पंजाब सरकार का शिक्षा विभाग राज्य के सरकारी स्कूलों में तेलुगू भाषा पढ़ाने की तैयारी कर रहा है लेकिन हैरानी की बात यहां यह है कि हाल ही में पंजाब में कक्षा 12 के 3800 से ज्यादा छात्र और कक्षा 10 के 1571 छात्र पंजाबी की परीक्षा पास नहीं कर पाए। क्या इस तरह बच्चों पर दूसरी भाषा का एक्स्ट्रा बोझ डालना सही है? आपको बता दें कि यह आदेश जारी होते ही शिक्षक संघों और एक्सपर्ट्स की ओर से इसका विरोध भी शुरु हो गया है।
भारतीय भाषा समर कैंप किया जाएगा आयोजन
रिपोर्ट्स के अनुसार, पंजाब सरकार के शिक्षा विभाग ने सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 10 तक के छात्रों के लिए भारतीय भाषा समर कैंप आयोजित करने का फैसला लिया है। इसमें उन्हें तेलुगू भाषा का बुनियादी ज्ञान भी दिया जाएगा। ये शिविर 26 मई से लेकर 5 जून 2025 तक चलेगा। इसका उद्देश्य एक भारत श्रेष्ठ भारत मिशन के अंतर्गत छात्रों को एक अतिरिक्त भारतीय भाषा का ज्ञान प्रदान करना है।
शिक्षा विभाग ने दिया आदेश
जारी आदेशों के अनुसार, सभी सरकारी स्कूलों में समर कैंप आयोजित किए जाएंगे। छात्रों को तीन समूहों में विभाजित कर प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा तेलुगू भाषा बोलने, संगीत, कला, संस्कृति, भोजन, नृत्य, देशभक्ति और ऐतिहासिक स्थलों से संबंधित गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। कक्षा आधे दिन के अवकाश के बाद हफ्ते के दिनों और छुट्टियों में सुबह 8 बजे से लेकर 11 बजे तक आयोजित होंगी। स्कूलों में ग्रीष्मकालीन शिविर चलाने के लिए प्रति छात्र 30 रुपये तक का बजट मिलेगा।
शिक्षक संघों ने किया विरोध प्रदर्शन
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। संगठन का कहना है कि जब बच्चे अपनी मातृभाषा पंजाबी से ही पिछड़ते जा रहे हैं तो उन पर चौथी भाषा का बोझ डालना अवैज्ञानिक और अतार्किक है।
डीटीएफ ने रखी ये मांगें
. इस निर्णय को तुरंत वापिस लेना चाहिए या स्वैच्छिक बनाना चाहिए।
. तेलुगू सिखना सिर्फ इच्छुक छात्रों तक ही सीमित होना चाहिए।
. स्कूलों में प्राथमिकता के आधार पर पंजाबी भाषा में दक्षता प्रदान करने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। शिक्षकों को एक्स्ट्रा कार्याभार से मुक्त करना चाहिए तथा उन्हें पूर्व अनुमोदित गतिविधियों तक ही सीमित रखना चाहिए।