जालंधर की पुलिस के हाथ एक बड़ी कामयाबी लगी है। उन्होंने छत्तीसगढ़ से चलाई जा रही एक साइबर धोखाधड़ी गिरोह के मामले में एक बड़ा गिरोह पकड़ लिया है। छत्तीसगढ़ के इन दो लोगों को जालंधर देहात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि दोनों आरोपी दुबई और कंबोडिया से जुड़े एक अंतराष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का ही हिस्सा हैं। इन दोनों आरोपियों की पहचान वरिंदर सिंह पुत्र शादी सिंह और अमरिंदर सिंह सैनी पुत्र शिंगारा सिंह के तौर पर हुई है। दोनों ही भिलाई के छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं। आरोपियों को अब जल्दी कोर्ट में पेश कर रिमांड पर भी लिया जाएगा।
गलत खातों में किया गया पैसा ट्रांसफर
इस मामले की जांच उस समय शुरु हुई जब जालंधर देहात के थाना फिल्लौर में एक साथ 9 शिकायतकर्ताओं ने संपर्क किया। शिकायतकर्ताओं ने पुलिस को बताया कि उनके बैंक खाते खोलने के लिए 2,000 से 3,000 रुपये पेश किए गए थे। बाद में इन्हीं खातों का इस्तेमाल अवैध वित्तीय लेनदेन के लिए किया गया था। इसके अलावा गेमिंग और बैटिंग एप्लिकेशन के जरिए से भी पैसा ट्रांसफर किया गया। पैसा दुबई और कंबोडिया में स्थानांतरित करने से पहले दिल्ली के रास्ते भेजा जाता था।
फिल्लौर थाने में दर्ज हुआ मामला
डीएसपी सरवन सिंह के अनुसार, फिल्लौर थाने में मामला दर्ज हो गया है। स्पेशल टीम के द्वारा ही जांच को आगे बढ़ाया जा रहा है। मामले में सफलता तब मिली जब शिकायतकर्ता आकाशद्वीप ने पुलिस को कर्नाटक बैंक खाते से 1.40 करोड़ रुपये के अनधिकृत लेनदेन के बारे में सूचित किया गया। इसके अलावा एक अन्य शिकायतकर्ता संजीव ने पुलिस को आरोपी की पहचान करने में मदद करने के लिए एक फर्जी व्यक्ति के रुप में काम किया है।
रिमांड में लिया जाएगा गिरोह
जांच में 23 बैंक खातों के बारे में पता चला है वहीं जिनका इस्तेमाल धोखाधड़ी गतिविधियों के लिए किए जाने का संदेह और संबंधित बैंकों से विवरण की इंतजार है। यह गिरोह ज्यादातर आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को टारगेट करते थे। उनके बैंक खातों का इस्तेमाल हवाला लेनदेन के लिए किया और पैसे की विदेशी नेटवर्क में भेजा गया। इस गिरोह का संचालन पंजाब, दिल्ली और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में फैला हुआ है और उनके दुबई और कंबोडिया से संबंध था।
दोनों आरोपियों को स्थानीय अदालत में भी पेश किया जाएगा और उनके आगे और पीछे के संबंधों की जांच करवाने, सिंडिकेट के अतिरिक्त सदस्यों की पहचान करने और वित्तीय निशानों का पता लगाने के लिए भी उनका रिमांड किया जाएगा।