Umpiring is the most challenging job in cricket : इंटरनेशनल क्रिकेट में खिलाड़ियों के अलावा मैदान पर एक ऐसा व्यक्ति भी होता है, जिसे क्रिकेट का A to Z सबकुछ मालूम होता है। इसी शख़्स को हम अंपायर के नाम से जानते हैं, जिसे आप असल में क्रिकेट का पंडित कह सकते हैं। अंपायर के बिना इस खेल की कल्पना ही नहीं की जा सकती। मैदान पर खिलाड़ियों को विपक्षी टीम के बल्लेबाज़ के ख़िलाफ़ आउट की अपील से लेकर DRS की मांग तक, हर निर्णय के लिए अंपायर पर ही निर्भर रहना पड़ता है। सही निर्णय देना ही एक अंपायर के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है। ये शारीरिक रूप से भी बेहद मुश्किल काम माना जाता है इसलिए अंपायरिंग को क्रिकेट की सबसे चैलेंजिंग जॉब भी कहा जाता है।
खेल के प्रति रुचि होना बेहद ज़रूरी
अंपायर बनने के लिए ये ज़रूरी नहीं है कि आप क्रिकेट बैकग्राउंड से हों लेकिन इस खेल के प्रति रुचि होना बेहद ज़रूरी है। अगर आप पहले क्रिकेट खेल चुके हैं या क्रिकेट की अच्छी समझ रखते हैं तो ये अंपायर बनने में काफ़ी मददगार साबित हो सकता है लेकिन अंपायर बनने के लिए हर कैंडिडेट्स को एक ख़ास तरह की प्रक्रिया से गुजरना होता है और इंटरनेशनल मैच में अंपायरिंग करने के लिए कई तरह टेस्ट भी पास करने होते हैं।
लोकल मैचों में अंपायरिंग से शुरुआत
अंपायर बनने के पहले चरण में कैंडिडेट्स को सबसे पहले ख़ुद को स्टेट एसोसिएशन में रजिस्टर कराना होता है। इस दौरान लोकल मैचों में अंपायरिंग करने से इसकी शुरुआत होती है। इसके बाद स्टेट एसोसिएशन केंडिडेट का नाम आगे बढ़ाता है और उसके बाद BCCI के अंपायर बनाए जाते हैं लेकिन BCCI के पैनल में जगह बनाने से पहले अम्पायर्स को अपने अनुभव और टैलेंट के दम पर स्टेट एसोसिएशन में जगह बनानी पड़ती है।
बीसीसीआई करवाता रहता है परीक्षा
बीसीसीआई हर साल इस परीक्षा का आयोजन करता है। इस दौरान BCCI की ओर से पहले 3 दिन कोचिंग जबकि चौथे दिन लिखित परीक्षा होती है। इसमें प्रतिभागियों का चयन मेरिट के आधार पर किया जाता है। चयनित कैंडिडेट को इंडक्शन कोर्स करवाया जाता है और उसके बाद अंपायरिग के बारे में पढ़ाया जाता है। प्रेक्टिकल और ओरल एग्जाम भी होता है। इस चरण के बाद कैंडिडेट्स का मेडिकल टेस्ट होता है और फिर BCCI के अंपायर बनते हैं।
अंपायर बनने के लिए इतनी योग्यता
भारत में अंपायर बनने के लिए किसी भी तरह की शैक्षिक योग्यता नहीं मांगी जाती हैं, लेकिन कैंडिडेट को क्रिकेट के सभी प्रमुख नियमों को सीखने, पढ़ने और लिखने में सक्षम होना बेहद ज़रूरी है। अंपायर बनने के लिए कैंडिडेट का शारीरिक रूप से फ़िट होना बेहद ज़रूरी है। इस दौरान कैंडिडेट की आईसाइट, फ़िटनेस, क्रिकेट के नियम आदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
इतनी होती है अंपायर की फ़ीस
बीसीसीआई के पैनल अंपायर्स की सैलरी उनके लेवल और वरिष्ठता के आधार पर तय की जाती है। बीसीसीआई में कई ग्रेड के अंपायर होते हैं, जिसमें ग्रेड A से लेकर D तक शामिल हैं। हर ग्रेड के अंपायर की फ़ीस अलग-अलग होती है। बीसीसीआई के पास इस समय ग्रेड A में 20 अंपायर, ग्रेड B में 60 अंपायर, ग्रेड C में 46 अंपायर और ग्रेड D में 11 अंपायर हैं। ग्रेड A के अंपायर की सैलरी 40 हज़ार प्रतिदिन, ग्रेड B के अंपायर्स को 30 हज़ार रुपये की सैलरी दी जाती है।
ICC एलीट पैनल के अंपायर्स की सैलरी
ICC एलीट पैनल का सदस्य होना बेहद फायदेमंद होता है। आईसीसी एलीट पैनल के अंपायर्स को 1 लाख अमेरिकी डॉलर की सालाना सैलरी मिलती है। इसके अलावा प्रत्येक अंपायर साल में 10 से 15 वनडे मैचों और 8 से 10 टेस्ट मैचों में अंपायरिंग करता है। इस दौरान उन्हें 1 टेस्ट मैच की फ़ीस 5000 डॉलर, 1 वनडे मैच की फ़ीस 3000 डॉलर और 1 टी20 मैच की फ़ीस 1500 डॉलर मिलती है। आईसीसी भी इन्हें प्रत्येक मैच के लिए 3,000 अमेरिकी डॉलर देता है।
T20 लीग से कमाते हैं करोड़ों रुपधे
इंटरनेशनल मैचों के अलावा अंपायर ICC से जुड़े T20 लीग में भी अंपायरिंग करते हैं। आईपीएल, पीसीएल, बिग बैश लीग, सीपीएल, एलपीएल, बीबीएल समेत अन्य लीग से अंपायर्स को आकर्षक पैसे मिल जाते हैं। अंपायर्स को आईपीएल में सबसे ज़्यादा फ़ायदा होता है। इस दौरान उन्हें 1 आईपीएल मैच के लिए क़रीब 2500 अमेरिकी डॉलर मिलते हैं। अंपायर्स को भत्ते मिलते हैं। आईसीसी से जुड़े हर अंपायर को बिज़नेस क्लास में यात्रा करने की सुविधा भी मिलती है।
वर्तमान में ICC Umpire Panel में
वर्तमान में नितिन मेनन, कुमार धर्मसेना, पॉल रीफ़ेल, रिचर्ड केटलबोरो, रॉड टकर, रिचर्ड इलिंगवर्थ, क्रिस गफ्फनी, जोएल विल्सन, माइकल गफ़, एड्रियन होल्डस्टॉक,अहसान राजा और शारफुद्दौला आईसीसी एलीट पैनल के अंपायर्स हैं। इनके अलावा जवागल श्रीनाथ, डेविड बून, जेफ क्रो, रंजन मदुगले, एंडी पायक्रॉफ्ट, रिची रिचर्डसन आईसीसी एलीट पैनल के रेफरी हैं।