बच्चों की परवरिश करना कोई आसान काम नहीं है। माता-पिता की छोटी सी गलती भी बच्चों के वर्तमान और भविष्य को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है। कई बार पैरेंट्स कुछ ऐसा कर देते हैं जिसका सीधा असर बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। बता दें कि थोड़ी-बहुत नोकझोंक हेल्दी रिलेशनशिप मेनटेन करने के लिए जरूरी मानी जाती है, मगर जब ये झगड़े आए दिन होने लगे, तो इस रिलेशनशिप से न केवल आप बल्कि आपके घर-परिवार वाले और खासतौर से बच्चों पर इसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसे वो जिंदगी भर झेलते हैं। आपके बीच की तकरार उनके पर्सनल और सोशल सोशल लाइफ को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकती है। इसलिए जितना हो सके, बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़े, अपशब्द बोलने, एक-दूसरे को अपमानित करने जैसी हरकतों से बचें, वरना आगे चलकर बच्चा भी ऐसा ही करेगा।
घर में होने वाले लड़ाई- झगड़ों का बच्चों पर होने वाले प्रभाव -
ईटिंग डिसऑर्डर का शिकार हो सकते हैं बच्चे -
घर में आए दिन होने वाले झगड़ों से बच्चे ईटिंग डिसऑर्डर का भी शिकार हो सकते हैं। जिसमें या तो उन्हें भूख ही नहीं लगती, खाने का दिल नहीं करता या फिर उनका खाने-पीने पर कोई कंट्रोल ही नहीं रहता। वैसे ज्यादा चांसेज भूख न लगने के होते हैं। बच्चों में खाने का ये डिसऑर्डर वैसे काफी आम है, लेकिन दोनों ही डिसऑर्डर बच्चे के लिए खतरनाक हैं। कम खाने से शरीर में न्यूट्रिशन की कमी, तो वहीं ज्यादा खाने से मोटापे की प्रॉब्लम हो सकती है। जो और कई सेहत संबंधी परेशानियों की वजह बन सकते हैं।
बच्चों को हो सकती है बिहेवियर प्रॉब्लम्स
लड़ाई-झगड़ों के दौरान हिंसक होना, एक-दूसरे को दोष देना, झूठ बोलना, अपशब्दों का प्रयोग जैसी चीज़ें लोग करते ही हैं, तो न चाहते हुए भी बच्चा ये सारी चीज़ें सीख जाता है। उसे मारने-पीटने, गालियां देने में कोई बुराई नजर नहीं आती। बचपन में अपने उम्र के लोगों के साथ तो वो ऐसा करते हैं और बड़ा होने के बाद अपने पार्टनर के साथ। इस तरह के बिहेवियर के लिए पूरी तरह से मां-बाप ही जिम्मेदार होते हैं।
धूम्रपान का सेवन
घर में कलेश का माहौल बच्चों को धूम्रपान की ओर भी धकेल सकता है। बच्चों को लगता है कि उनके अंदर पनप रहे गुस्से, दर्द को ये सारी चीज़ें शांत कर सकती हैं। बचपन से ही इन चीज़ों की लत लग जाती है जो उनकी पूरी जिंदगी को खराब कर सकती है। शरीर के साथ ही दिमाग पर भी इसका बुरा असर पड़ता है।
बचपन में डिप्रेशन का शिकार हो सकता है
स्टडीज़ से पता चलता है कि जिन घरों में पेरेंट्स अक्सर ही लड़ते-झगड़ते हैं, उन बच्चों में अटेंशन-डेफिसिट / हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD), ईटिंग डिसऑर्डर, डिप्रेशन, मूड स्विंग्स, पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसी समस्याएं होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। एक बच्चे का दिमाग पर घर में रोजाना रहने वाले ऐसे माहौल का बहुत गहरा असर पड़ता है। इतना ही नहीं वो बचपन में डिप्रेशन का भी शिकार हो सकता है। कई बच्चे को तो एंग्जाइटी अटैक भी आते हैं।
पढ़ाई लिखाई पर पड़ सकता है असर
अगर पति-पत्नी के बीच लड़ाई-झगड़ा होता है, तो इसका असर बच्चों की पढ़ाई लिखाई पर पड़ सकता है। अगर आप अक्सर उनके सामने लड़ते हैं, तो उनका पढ़ने में मन नहीं लगता है। उनके मस्तिष्क की क्षमता कम होने लगती है। इतना ही नहीं, इस तरह के माहौल में पल रहे बच्चों की याददाश्त क्षमता कम होती जाती है। माता-पिता के झगड़ों का असर उनकी हर एक्टिविटी पर पड़ने लगता है। ऐसे में कोशिश करें कि आप अपने बच्चों को सामने लड़े नहीं।
खुद को मानने लगता है दोषी
अक्सर बच्चे माता-पिता की लड़ाईयों को देखकर यह सोचने लगते हैं कि उनके बीच की लड़ाई का कारण वो खुद है। ऐसे में कुछ बच्चे अपने आप को अपराध बोध मानने लगते हैं। ऐसे में आपका बच्चा गलत कदम उठा सकता है। इसलिए बच्चों के सामने लड़ने की गलती न करें।