Positive News Iha Dixit : छुट्टी का दिन आप और हम कैसे बिताते हैं? हममें से कोई घूमने जाता है तो कोई टीवी देखता है। लेकिन मेरठ की रहनेवाली 10 साल की ईहा दीक्षित पिछले 283 हफ़्तों से पौधे उगाकर अपना वीकेंड बिता रही हैं। इतना ही नहीं, पिछले 5 सालों से वह अपना जन्मदिन भी पौधे लगाकर ही मनाती हैं। पौधे लगाना और हरियाली फैलाना उनके लिए शौक नहीं बल्कि उनका जूनून बन गया है। छोटी सी बच्ची को पौधे लगाते हुए देखकर उनके कई दोस्त और आस-पास के बच्चे भी उनसे जुड़ने लगें। इस तरह ईहा ने शुरू किया Green Eiha Smile Club, आज उनके इस ग्रुप से कई बच्चे जुड़कर हर हफ्ते पौधे लगाते हैं। चार साल की उम्र में नीबू का एक पेड़ लगाने के बाद पौधों से ऐसा प्यार हुआ कि 10 साल की ईहा दीक्षित ने International Young Eco Award सहित 167 अवॉर्ड जीत लिए। शायद आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह सब कुछ शुरू हुआ कार्टून चैनल देखकर।
कार्टून चैनल देखते ही ठान लिया ईहा ने
दरअसल, हुआ यूं था कि एक दिन कार्टून चैनल पर पौधा लगाते और उसे बड़ा होते देखकर, ईहा ने ठान लिया कि वह भी ऐसे ही पौधे लगाकर उसे बड़ा करेंगी। बस फिर क्या था, वह अपने मम्मी-पापा से पौधे लगाने की जिद्द करने लगीं। शुरुआत में तो परिवार ने इसे बच्चे की जिद्द समझकर नज़रअंदाज किया लेकिन जब ईहा नहीं मानी तो उन्होंने उनसे एक नीबू का पेड़ लगवाया।
पांचवें जन्मदिन पर सार्वजनिक पौधरोपण
मगर ईहा सिर्फ एक पौधा लगाकर रुकने वाली नहीं थीं। धीरे-धीरे उन्होंने अपने स्कूल और आस-पास की जगहों पर पौधे लगाना शुरू किया। द बेटर इंडिया से बात करते हुए ईहा कहती हैं कि उन्होंने अपने पांचवें जन्मदिन पर 1008 पौधे सार्वजनिक जगहों पर लगाएं और 2500 पौधे अपने छठे जन्मदिन पर लगाएं थे।
लखनऊ, इंदौर और गुरुग्राम में भी पहल
ईहा और उनके ग्रुप ने न सिर्फ मेरठ शहर बल्कि दिल्ली-गाज़ीपुर में बने एशिया के सबसे बड़े Dumping Yard सहित लखनऊ, इंदौर और गुरुग्राम में भी कई पौधे लगाकर उनकी देखभाल की जिम्मेदारी उठाई है। सबसे अच्छी बात तो यह है कि वह अपने उगाएं हर एक पौधे कि जिम्मेदारी लेती हैं और उनकी देखरेख का भी पूरा इंतजाम करती हैं।
20,000 पौधे लगाकर जीते कई अवार्ड्स
इस तरह वह अब तक करीबन 20 हजार से अधिक पौधे सार्वजनिक जगहों पर लगा चुकी हैं। अपने इन लगातार प्रयासों के कारण ईहा देश के लिए International Young Eco Award और देश का सबसे बड़ा बाल पुरस्कार, बाल शक्ति पुरस्कार भी जीत चुकी हैं। जरा सोचिए, छोटी सी ईहा अगर पर्यावरण के लिए इतना कुछ कर सकती हैं तो हम और आप क्यों नहीं? आप इस ईहा के बारे में अधिक जानने के लिए उन्हें सोशल मीडिया पर संपर्क कर सकते हैं।