पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (PCMS) ने राज्य में सभी सरकारी अस्पतालों में आपीडी बंद रखी गई है। वहीं जालंधर के सिविल अस्पताल में पीसीएमएस डॉक्टर की ओर से ओपीडी बंद है। डॉक्टरों का कहना है कि उनकी मांगों की तरफ सरकार ध्यान नहीं दे रही है। इसलिए उन्हें बार-बार हड़ताल पर जाना पड़ रहा है।
वकीलों की भी हड़ताल
जहां डॉक्टरों ने हड़ताल की हुई हैं। वहीं, जालंधर के वकीलों ने भी नो वर्क डे का ऐलान किया है। अदालत परिसर में एक वकील की अचानक मौत हो जाने के कारण ये फैसला लिया गया है। एसोसिएशन के प्रेसिडेंट आदित्य जैन ने बताया कि शनिवार (7 सितंबर) को अदालत में एक वकील की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी।
अदालत में ना कोई एंबुलेंस की व्यवस्था थी ओर ना ही किसी डॉक्टर की जिस कारण वकील की मौत हो गई। प्रेसिडेंट आदित्य जैन ने कहा कि अगर उस दिन एंबुलेंस होती तो शायद उनकी जान बच जाती, जिन मांगों को लेकर अदालत में ने वर्क डे एलान किया गया है।
सरकार के भरोसे के बाद भी हड़ताल जारी
डॉक्टरों की हड़ताल की बात करे तो शनिवार देर शाम से सरकार की ओरे से उन्हें मनाने के लिए आश्वासनों से भरा खत जारी किया था। सरकार से भरोसा मिलने के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल वापस तो नहीं ली। लेकिन तीन चरणों में बांट दिया है।
डॉक्टर 3 चरणों में कर रहे हड़ताल
सरकार की तरफ से आश्वासन के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल को 3 चरण में बदल दिया है। पहला चरण 9 से 11 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान सुबह 8 बजे से 11 बजे तक ओपीडी सेवाएं बंद रहेंगी। दूसरा चरण 12 से 15 सितम्बर तक होगा। जिसमें ओपीडी सेवाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। 16 सितम्बर के बाद तीसरा चरण होगा। इसमें डॉक्टर ओपीडी के साथ-साथ मेडिकल लीगल करने से भी साफ मना कर देंगे।
आज से सरकारी अस्पतालों में दोपहर 11 बजे तक ओपीडी नहीं चली। पंजाब सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन ने सरकार के भरोसे के बाद भी हड़ताल पर जाने का फैसला किया है।
11 सितंबर को सरकार के साथ मीटिंग
आपको बता दें कि 11 सितंबर को डॉक्टरों और सरकार के बीच मीटिंग होने वाली है। एसोसिएशन अस्पताल में डॉक्टर मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा और नियमित रूप से वेतन बढ़ोतरी के आदेश जारी करने को लेकर यह आंदोलन कर रही है।