पंजाब, मशहूर पंजाबी कलाकार और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित निर्मल ऋषि को पंजाब फिल्म एंड टीवी एक्टर्स एसोसिएशन (PFTAA) कमेटी का सर्वसम्मति से नई प्रधान नियुक्त किया गया है। यह चयन 2 वर्षों के लिए किया गया है। इस मौके पर पिछले कार्यों की विस्तृत जानकारी भी प्रस्तुत की गई।
बता दें पंजाबी सिनेमा में अहम योगदान देने और पंजाब के लोगों का मान बढ़ाने वाली निर्मल ऋषि को दो महीने पहले ही देश के सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वे 80 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुकी हैं।
इस बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए अभिनेता मलकीत रौनी ने बताया कि पंजाब फिल्म एंड टीवी एक्टर्स एसोसिएशन के चुनाव में सभी ने एकमत होकर निर्मल ऋषि को प्रधान चुना है।
वे इस संगठन की 7वीं प्रधान के तौर पर चुनी गई हैं। उन्होंने बताया कि इस पद पर दविंदर दमन, सविंदर महल, रंजीत शर्मा, गुरप्रीत घुग्गी और करमजीत अनमोल बतौर अध्यक्ष सेवाएं निभा चुके हैं।
इनको भी मिलीं अहम जिम्मेदारियां
PFTAA ने निर्मल ऋषि के साथ-साथ कई अन्य कलाकारों को भी अहम जिम्मेदारियों से नवाजा है। जिसमें बीनू ढिल्लों को उपाध्यक्ष, गुग्गू गिल को चेयरमैन, सविंदर महल को प्रेस सचिव, बलविंदर विक्की उर्फ चाचा रौनकी राम को समिति का संरक्षक और भारत भूषण वर्मा को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
पंजाबी सिनेमा आज क्षेत्रीय भाषाओं में दूसरे स्थान पर
पंजाबी अभिनेता गुरप्रीत घुग्गी ने कहा कि निर्मल ऋषि एक ऐसी अभिनेता हैं जिन्होंने मंच पर अभिनय करना शुरू किया और फिर टीवी और फिल्मों में कदम रखा। पंजाबी सिनेमा में एकमात्र पद्मश्री है जो निर्मल ऋषि को दिया गया है। वहीं अभिनेता बीनू ढिल्ले ने कहा कि पंजाबी सिनेमा आज क्षेत्रीय भाषाओं में दूसरे स्थान पर है।
थिएटर ही नहीं, खेल और एनसीसी में भी अव्वल
बठिंडा के खिवा कलां गांव के सरपंच पिता बलदेव कृष्ण ऋषि के घर 28 अगस्त 1946 को जन्मीं निर्मल ऋषि को बचपन से ही थिएटर और भांगड़े का बहुत शौक था। उन्होंने स्कूल से ही थिएटर करना शुरू कर दिया था। बुआ ने ही निर्मल ऋषि का पालन पोषण किया।
श्रीगंगानगर से 10वीं पास की और जयपुर से बीएड की डिग्री ली। राजस्थान से खेलने वाली खिलाड़ी निर्मल ऋषि थिएटर, NCC और खेलों में अव्वल रहती थीं। उन्हें बेस्ट कैडेट का सम्मान भी मिला। मास्टर करने के लिए वह राजस्थान से पटियाला आ गईं और सरकारी कॉलेज से फिजिकल एजुकेशन में MA की।
गुलाबी मौसी ने लगा दी थी प्रड्यूसरों की लाइनें
1966 में अपने जीवन का पहला नाटक 1966 में हरपाल टिवाणा के निर्देशन में अधूरे सपने का मंचन किया। उसके बाद उन्हें बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर ओम पुरी के साथ भी थिएटर करने का मौका मिला। वहां से वह 1984 में बड़े पर्दे पर आ गईं। फिल्म लौंग दा लश्कारा में गुलाबो मौसी का किरदार निभाकर अलग पहचान बनाई। इसी अलग पहचान और किरदार ने उन्हें इतना हिट कर दिया कि उनके पास प्रोड्यूसरों की लाइन लग गई। वे निर्मल से गुलाबो मौसी का किरदार दोबारा करवाना चाहते थे, जिसे निर्मल ने करने से साफ मना कर दिया।