NDRF and SDRF teams engaged in rescue operation, called out names of workers : सेना के साथ-साथ NDRF और SDRF की टीमें तेलंगाना में टनल का हिस्सा धंसने के बाद जी-जान लगाकर रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं। 8 वर्कर्स को बचाने की जद्दोजहद जारी है अब भी रेस्क्यू में कई बड़ी चुनौतियां सामने आ रही हैं। फंसे हुए श्रमिकों का सही स्थान अभी तक पता नहीं चल पाया है। सुरंग के 11 से 13 किलोमीटर के बीच के पैच में पानी भरा हुआ है और जब तक पानी नहीं निकल जाता, तब तक मलबा सफाई का काम शुरू नहीं हो पाएगा। हालांकि, थोड़ी राहत की बात यह है कि रेस्क्यू टीम टनल के 13 किलोमीटर अंदर उस स्थान तक पहुंच गई है।
क्या बोले NDRF की टीम के डिप्टी कमांडर
टनल के अंदर पहुंची NDRF की टीम के डिप्टी कमांडर सुखेंदु ने बताया,'कल रात (22 फरवरी) करीब 10 बजे हमारी टीम स्थिति का विश्लेषण करने के लिए सुरंग के अंदर गई. सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर की दूरी में से 11 किलोमीटर हमने लोकोमोटिव पर और बाकी बचा 2 किलोमीटर का हिस्सा कन्वेयर बेल्ट के जरिए तय किया। जब हम टीएमवी (टनल बोरिंग मशीन) के अंत में पहुंचे तो हमने वहां फंसे श्रमिकों के नाम पुकारे।
संपर्क करने की कोशिश, कुछ नहीं मिला
इस तरह हमने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन हमें वहां कुछ नहीं मिला। टनल में हादसे वाली जगह के बारे में बताते हुए कमांडर सुखेंदु ने कहा,'जहां टनल धंसी है, वहां 200 मीटर का पैच मलबे से भरा हुआ है। जब तक यह मलबा साफ नहीं हो जाता। हम फंसे हुए श्रमिकों के सही स्थान का पता नहीं लगा पाएंगे और उन्हें बचा नहीं पाएंगे। जहां पर सुरंग का हिस्सा धंसा है लेकिन कीचड़ और पानी बड़ी बाधा बन रहे हैं।
यहां जानें, कौन-कौन फंसा है टनल में?
> दो इंजीनियर (एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी से)
> दो ऑपरेटर (अमेरिकी कंपनी से)
> चार मजदूर (उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर से)
नागरकुरनूल जिले में कैसे हुआ हादसा?
जानकारी के मुताबिक तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में एसएलबीसी सुरंग में 22 फरवरी की सुबह 200 मीटर लंबी टनल बोरिंग मशीन के साथ पहली शिफ्ट में 50 से ज्यादा लोग सुरंग के अंदर गए। वह टनल के अंदर 13.5 किलोमीटर तक गए। इसी दौरान सुरंग का एक हिस्सा अचानक ढह गया। मशीन के आगे चल रहे 2 इंजीनियर सहित 8 लोग वहीं फंस गए, जबकि 42 कर्मचारी सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागे और बाहर निकल आए।
44 किमी लंबी सुरंग पर जारी था काम
बताया जा रहा है कि अचानक पानी के साथ मिट्टी बहकर आने लगी। बचाव टीमों को 14 किलोमीटर अंदर मलबा जमा होने की वजह से रास्ता साफ करने में कठिनाई हो रही है इसलिए ड्रोन के जरिए हालात का जायजा लिया जा रहा है। मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी के मुताबिक यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग (44 किमी) होने वाली है, जिससे श्रीशैलम प्रोजेक्ट का पानी नलगोंडा जिले की 4 लाख एकड़ कृषि भूमि तक पहुंचाया जाएगा। अभी 9.5 किमी सुरंग का काम बाकी है।