कैश फॉर क्वेरी मामले में तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म कर दी है। उन्हें निष्कासित करने के लिए सदन में वोटिंग की गई। पर इस वोटिंग का विपक्ष ने बहिष्कार कर दिया। वोटिंग के बाद लोकसभा स्पीकर ने मोइत्रा के निष्कासन के प्रस्ताव को पास कर दिया और लोकसभा 11 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई।
महुआ मोइत्रा ने किया पलटवार, उठाए सवाल
महुआ मोइत्रा ने कहा कि यह आरोप व्हाइट पेपर पर हैं, ना कि आधिकारिक लेटरहेड या नोटरीकृत पत्र में लगाए गए हैं। उन्होंने कहा, पत्र (शपथपत्र) का कंटेंट एक मजाक है। हलफनामा प्रधानमंत्री ऑफिस ने उन्हें निशाना बनाने के लिए तैयार किया गया है।
उन्होंने दावा किया कि बीजेपी सरकार अडानी मुद्दे पर किसी तरह मुझे चुप कराने का बेसब्री से इंतजार कर रही है। मोइत्रा ने यह भी कहा कि दर्शन हीरानंदानी को प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा हलफनामे पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया है।
राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित होना चाहती थीं महुआ - हीरानंदानी
इससे पहले हीरानंदानी ग्रुप ने इन आरोपों से इनकार किया था और कहा था, वो राजनीति के बिजनेस में शामिल नहीं है। हालांकि, गुरुवार को दर्शन हीरानंदानी ने दावा किया कि महुआ मोइत्रा राष्ट्रीय स्तर पर जल्दी से अपना नाम बनाना चाहती थीं और उन्हें उनके दोस्तों और एडवाइजर्स ने सलाह दी कि फेमस होने का सबसे छोटा रास्ता पीएम नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमला करना है।
मुझसे आईडी-पासवर्ड शेयर किया गया
हीरानंदानी ने दावा किया कि मोइत्रा ने अडानी को निशाना बनाकर प्रधानमंत्री को बदनाम और शर्मिंदा करने का प्रयास किया है। हीरानंदानी ने कहा कि उन्होंने सांसद के रूप में अपनी ईमेल आईडी मेरे साथ शेयर की, ताकि मैं उन्हें जानकारी भेज सकूं और वो संसद में सवाल उठा सकें।
जानें क्या है पूरा मामला
बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत नौ नवंबर को अपनी एक बैठक में मोइत्रा को ‘पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने’ के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था। समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था।
इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं। समिति के 4 विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे। विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को ‘फिकस्ड मैच’ करार देते हुए कहा था कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की जिस शिकायत पर समिति ने विचार किया, उसके समर्थन में ‘सबूत का एक टुकड़ा’ भी नहीं था।