खबरिस्तान नेटवर्क: ईरान और इजरायल के बीच जंग लगातार तेज होती जा रही है। इस जंग में ईरान में रह रहे 1500 छात्रों समेत 10 हजार अप्रवासी भारतीज यो फंस गए हैं। तेहरान में हुजत दोस्त अली छात्रावास पर इजरायली हवाई हमले के बाद तीन कश्मीरी छात्रों को मामूली चोटें आई है। जम्मू और कश्मीर छात्र संघ ने बताया कि हालांकि चोटें गंभीर नहीं है लेकिन छात्र इस संकट से सदमे में हैं और भयभीत भी हैं। JKSA के राष्ट्रीय संयोजक नासिर खुहमी ने बताया कि छात्रों को तेहरान के उत्तर में एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। उन्होंने भारत सरकार से प्रभावित छात्र को बाहर निकालने की मांग की है।
सरकार से मांगी स्टूडेंट्स ने मदद
ईरान पर इजरायल के भयानक हमलों के बीच वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रही छात्राओं के एक समूह ने अपनी स्थिति को भयावह बताया है और स्थानीय अधिकारों से तत्काल सहायता का आग्रह भी किया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से अपील की है कि हम एक भयावह स्थिति में फंस चुके हैं जो अचानक बढ़ गई है। हमारे परिवार चिंतित हैं और हम दोनों ही अपने-अपने घरों से बाहर निकलने के लिए उत्सुक हैं। उनके वीडियो कॉल और ईरान पर बमबारी बढ़ती देख कश्मीर में प्रभावित छात्रों के परिवारों ने अपनी चिंताएं भी व्यक्त करना शुरु कर दी हैं। उन्होंने भारत सरकार से तत्काल मामले में हस्तक्षेप करने और उनके बच्चों की सुरक्षित निकासी की अपील की है। इस मांग को लेकर माता-पिता के एक समूह ने श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन भी किया है।
पैरेंट्स ने बच्चों को निकालने की मांग
माता-पिता के एक ग्रूप ने कहा कि वे ईरान में खराब मोबाइल नेटवर्क कनेक्टिविटी के कारण अपने बच्चों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने अनुरोध किया है कि यदि हवाई क्षेत्र बंद होने के कारण उनके बच्चों को तुरंत भारत वापिस नहीं लाया जा सकता है। तो भारत सरकार के अधिकारी उनके बच्चों को पास के देशों में स्थानांतरित करने की व्यवस्था करें।
सीएम उमर अब्दुल्ला ने जयशंकर से किया संपर्क
उनकी गुहार पर प्रदेश के सीएम उमर अब्दुल्ला ने रिप्लाई भी किया है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि - ईरान की स्थिति खासकर देश में कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा के बारे में @DrSJaishankar से बात की। माननीय मंत्री ने मुझे आश्वसान भी दिया है कि @MEAindia ईरान में सभी भारतीय छात्रों की सुरक्षा के लिए सभी जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं। स्थिति अभी भी अस्थिर ही है क्योंकि अधिकारी ईरान में पढ़ रहे 1500 से ज्यादा कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।