ख़बरिस्तान नेटवर्क : ज्योति जागृति संस्थान और कैंट बोर्ड ने जालंधर कैंट के जवाहर पार्क में सात दिवसीय योग शिविर का आयोजन किया। आज शिविर के तीसरे दिन जालंधर कैंट के ब्रिगेडियर सुनील सौल, स्वामी आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी सज्जनानंद और अजीत समाचार के संपादक विकास सचदेवा मौजूद रहे।
इस योग शिविर में स्वामी अश्विनी नंद जी ने सभी योग साधकों को योग क्रियाएं और प्राणायाम करते समय सही आहार के बारे में बताया। इस अवसर पर स्वामी सज्जनानंद जी और साध्वी पल्लवी भारती जी ने योग साधकों की बारिश के बावजूद अभ्यास जारी रखने के लिए सराहना की और कहा कि "जैसा अन्न वैसा मन" कहावत हमारे जीवन के एक बहुत ही महत्वपूर्ण सत्य को दर्शाती है।
इसका सीधा सा मतलब है कि हमारा मन और विचार हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन से ही आकार लेते हैं। यह सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य का मामला नहीं है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य का भी मामला है। पौष्टिक और सात्विक भोजन हमारे शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए बहुत ज़रूरी है। जब हम पौष्टिक, ताज़ा और आसानी से पचने वाला भोजन करते हैं, तो हमारा शरीर ऊर्जावान महसूस करता है और मन शांत, सकारात्मक और एकाग्र होता है। ऐसा भोजन न केवल शारीरिक शक्ति प्रदान करता है बल्कि यह हमारे विचारों में स्पष्टता और रचनात्मकता भी लाता है।
इसके विपरीत, यदि हम अस्वास्थ्यकर, बासी, अत्यधिक मसालेदार या तामसिक भोजन जैसे कि फास्ट फूड, बहुत अधिक तेल और मसालेदार व्यंजन खाते हैं, तो इसका हमारे मन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ऐसा भोजन शरीर में आलस्य, भारीपन और सुस्ती पैदा करता है। अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि अस्वास्थ्यकर आहार अवसाद और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं से जुड़ा हुआ है।
अंत में, "जैसा अन्न वैसा मन" हमें सिखाता है कि स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने के लिए, हमें अपने भोजन को केवल पेट भरने का साधन नहीं बल्कि अपने शरीर और मन के पोषण का आधार मानना चाहिए। पौष्टिक और सात्विक भोजन को अपनाकर हम न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं बल्कि शांत, सकारात्मक और प्रसन्न मन भी पा सकते हैं। इस अवसर पर संस्थान की जालंधर शाखा की प्रमुख साध्वी पल्लवी भारती जी ने शहरवासियों से कहा कि यह योग शिविर 21 जून तक चलेगा। आप सभी अपने परिवार व छोटे बच्चों सहित योग शिविर में अवश्य शामिल हों।