जालंधर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी सुशील कुमार रिंकू के हक में उनके पुराने साथी दलित कांग्रेसी नेता व पूर्व पार्षद जगदीश राम समराय भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने रिंकू से अपने सभी गिले शिकवे मिटाकर वीरवार को भाजपा का दामन थाम लिया है।
भाजपा के प्रदेश इंचार्ज गुजरात के पूर्व सीएम विजय रुपानी ने सिरोपा पहनाकर भाजपा में शामिल कराया। इसमें वेस्ट हलके से विधायक शीतल अंगुराल की अहम भूमिका रही। वह 2017 से 2022 की कांग्रेस सरकार में एससी विंग के प्रदेश पदाधिकारी भी रहे और उन्हें सरकार ने पंजाब बीज निगम का मैंबर भी बनाया।
समराय के भाजपा में जाने से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। कांग्रेस प्रत्याशी चरनजीत सिंह चन्नी के लिए समराय का जाना चिंता बढ़ाने वाली बात है। उनके लिए समराय खतरनाक साबित हो सकते हैं। जगदीश समराय वेस्ट हलके में अच्छी पकड़ रखते हैं। हालांकि समराय सुशील रिंकू से लंबे समय से नाराज चल रहे थे। इस मौके पर लोकसभा जालंधर सीट के इंचार्ज पूर्व विधायक केडी भंडारी, जिला भाजपा प्रधान सुशील शर्मा, विधायक शीतल अंगुराल और अन्य नेता मौजूद रहे।
रिंकू को मिलेगा समराय के आने का फायदा
समराय भाजपा प्रत्याशी सुशील रिंकू के बेहद करीबी दोस्तों में से एक हैं। रिंकू को विधायक बनाने में समराय का भी बड़ा सहयोग रहा है। लेकिन कांग्रेस सरकार के दौरान वह रिंकू से नाराज हो गए थे। उन्होंने अपने कदम पीछे हटा लिए थे। 2022 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में अपने दोस्त के लिए आगे बढ़कर चुनाव में हिस्सा नहीं लिया। अब समराय के आने से रिंकू को वेस्ट हलके से फायदा जरूर मिलेगा।
नहीं गए आम आदमी पार्टी में
सुशील रिंकू के आम आदमी पार्टी में जाने और लोकसभा उपचुनाव लड़ने के दौरान भी कुछ लोगों ने उन्हें रिंकू के साथ चलाने की कोशिश की थी। लेकिन तब समराय अड़े रहे और वह कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल नहीं हुए। हालांकि उस समय बहुत सारे पार्षद और पूर्व पार्षद वेस्ट हलके से अपनी पार्टियां छोड़कर सुशील रिंकू के साथ आप में शामिल हो गए थे।
तेजतर्रार पार्षद के तौर पर जाने जाते हैं
नगर निगम में कांग्रेस के तेजतर्रार पार्षदों के रूप में समराय को जाना जाता है। समराय ने 2017 में निगम का चुनाव लड़ा था। वह दलित नेता होने के बावजूद जनरल सीट पर पार्षद का चुनाव लड़े। उनके सामने भाजपा के मेयर पद के दावेदार रवि महेंद्रू चुनाव लड़े। रोचक मुकाबले में समराय ने जीत हासिल की। जबकि उनके वार्ड में वोटों की संख्या भी बहुत कम थी। समराय के वार्ड की सभी 23 कालोनियां अवैध थीं और उनके वार्ड में बहुत ज्यादा विकास की जरूरत थी।