ज्यादातर लोग हेल्थ से जुड़ी छोटी मोटी समस्या होने पर खुद ही उसका इलाज करने लग जाते हैं। जैसे कि अगर किसी को बुखार है तो वो पेरासिटामोल खा लेता है या पीठ या पैर में दर्द होने पर लोग पेनकिलर खा लेते हैं। इसके अलावा जैसे ही तबीयत थोड़ी ठीक होने लगती है, लोग दवा और सावधानी के प्रति लापरवाह होने लगते हैं। दरअसल हम यह समझने लगते हैं कि अब नैचुरल तरीके से हम बिल्कुल ठीक हो जाएंगे, दवा की जरूरत नहीं । हम अपना डॉक्टर खुद बनने लगते हैं और अपनी सेहत का फैसला भी खुद लेने लगते हैं। मगर आपको बता दें कि यह आदत नुकसानदायक साबित हो सकती है।
हम सबको पता है कि एंटीबायोटिक दवाइयों का एक कोर्स होता है और उसे पूरा करना ज़रूरी होता है लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है कि जो पेनकिलर आप खाते हैं उसको कब तक या कितने दिन खाना चाहिए? क्या उसका भी कोई कोर्स होता है या नहीं? क्या दर्द खत्म हो जाने पर पेनकिलर खाना बंद कर देना चाहिए?
लौट सकती है बीमारी -
बता दें कि दवा का कोर्स पूरा करने से पहले अगर हम दवा खाना बंद कर देते हैं तो सबसे पहली आशंका बीमारी के फिर लौट आने की होती है. दरअसल, कई बीमारियां bacteria या virus के इंफेक्शन की वजह से होती हैं। शरीर से यह संक्रमण जब खत्म होने लगता है तो हम स्वस्थ होने लगते हैं। जबकि हकीकत यह होती है कि न तो संक्रमण पूरी तरह खत्म हुआ होता है न हम पूरी तरह स्वस्थ हुए होते हैं। ऐसे में अगर हमने दवाओं का कोर्स बीच में ही बंद कर दिया तो वह संक्रमण फिर से फैलने लगता है। डॉक्टरों का मानना है कि एंटीबायोटिक आदि की खुराक पूरी करना बेहद जरूरी होता है। यह इसलिए कि शरीर से संक्रमण पूरी तरह खत्म हो जाए।
इसी तरह अन्य दवाएं भी केवल इसलिए बंद नहीं कर देनी चाहिए कि आप ठीक हो गए. बल्कि diabetes, blood pressure या हॉर्मोन आदि जैसी कुछ दवाएं अचानक बंद करने से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए डॉक्टर के निर्देश से ही डोज घटाना या धीरे-धीरे बंद करना चाहिए।
पेनकिलर खाने का कोर्स पूरा करना जरुरी -
बता दें कि पेनकिलर भी कई तरह के होते हैं और जो पेनकिलर सबसे ज्यादा इस्तेमाल किये जाते हैं उन्हें एनएसएआईडी (non-steroidal anti-inflammatory drugs) कहा जाता है। ज्यादातर लोग थोड़ा- सा भी दर्द होने पर इन दवाओं का सेवन करने लगते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। जब तक आप दर्द को बर्दाश्त कर सकें तब तक आपको पेनकिलर नहीं खाना चाहिए बल्कि कई बार तो दर्द अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। हां अगर इतना तेज दर्द हो रहा है कि आप बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं और आपके काम में बाधा हो रही है तो ज़रूर पेनकिलर खा लें। लेकिन इसमें भी यह सावधानी बरतें कि पेनकिलर तभी तक खाएं जब तक दर्द हो उसके खत्म होने के बाद बिल्कुल न खाएं क्योंकि इन दवाइयों के भी साइड इफेक्ट्स होते हैं।
अगर आपके डॉक्टर ने आपको पेनकिलर खाने के लिए कहा है तो उसका पूरा कोर्स करना ज़रूरी होता है और दवा बंद करने से पहले भी एक बार डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार किसी ख़ास बीमारी की वजह से आपको बार बार दर्द होता है जिसका सही इलाज ज़रूरी है। डॉक्टर को भी यह जांच लेना चाहिए कि उस पेनकिलर का आपके शरीर या किडनी पर कोई बुरा असर तो नहीं पड़ेगा उसके बाद ही दवा देनी चाहिए। कई मामलों में दर्द 2-3 दिन दवा खाने के बाद अपने आप खत्म होने लगता है लेकिन अगर आप अर्थराइटिस के मरीज हैं तो ये दर्द खत्म होने में ज्यादा टाइम लेता है।
पेनकिलर खाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान :
- कई मरीजों को यही नहीं पता होता है कि दर्द होने पर किस एक्सपर्ट के पास जाना चाहिए। ऐसे समय में आपको जनरल प्रैक्टिशनर के पास ही जाना चाहिए। वो ही आपका सही इलाज कर सकते हैं। उन्हें यह बहुत बेहतर तरीके से पता होता है कि किस तरह के दर्द में कौन सी दवा की कितनी मात्रा देनी है।
- पेनकिलर को हमेशा भरपूर खाना खाने के बाद ही खाएं। कभी भी सुबह सिर्फ चाय पीकर या दो बिस्कुट खाकर पेनकिलर ना खाएं बल्कि भरपूर नाश्ते या लंच के बाद ही खायें।
- अगर दवाइयां बहुत सस्ती हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप ज़रूरत से ज्यादा मात्रा में इन्हें खरीद लें। आप उतनी ही दवा खरीदें जितनी डॉक्टर ने आपको बतायी है।