खबरिस्तान नेटवर्क, डेस्क : पहले के समय में दोस्त और परिवार के सभी सदस्य साथ बैठकर बातचीत और समय बिताया करते थे। लेकिन आज के समय में साथ बैठकर भी वे अपने-अपने फोन में ही व्यस्त नजर आते है। एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड करने की बजाए अपने स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया सर्कोल करने पर समय बिताते है। आज कल बच्चे से लेकर बुढ़े तक के हाथ में समार्टफोन नजर आता है। हालंकि अपने समार्टफोन के साथ चिपके रहना टीक नहीं है। ऐसे में आप डिजीटल फास्टिंग कर इससे बच सकते है।
जानिए क्या है डिजिटल फास्टिंग
डिजिटल फास्टिंग लोगों के एक दिन या एक हफ्ते में स्मार्टफोन के इस्तेमाल की लिमिट निर्धारित करता है। डिजिटल फास्टिंग कर लोग निर्धारित समय के अनुसार ही टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं। इस फास्टिंग में फोन, टैबलेट या लैपटॉप को शामिल किया जाता है।
डिजिटल फास्टिंग को इन नामों से भी जाना जाता है
1.डिजिटल डिटॉक्स,
2.डोपामाइन फास्टिंग,
3.अनप्लगिंग फ्रॉम टेक्नोलॉजी
4. डिजिटल सब्बाथ
युवाओं के लिए डिजिटल फास्टिंग जरुरी
वहीं, युवाओं के लिए समार्टफोन के साथ चिपके रहने के मामले में ये चिंताजनक है। युवा ऑनलाइन रोजाना करीब 8 घंटे फोन पर गुज़ार रहे है। फोन पर घंटों गुजारने का सीधा असर सेहत पर पड़ रहा है। वहीं सोशल मीडिया की लत लोगों के बर्ताव और स्वभाव को चिड़चिड़ा बना रही हैं। मानसिक दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। दिक्कतें हद से ज्यादा बढ़ जाने पर डॉक्टर डिजिटल डिटॉक्स या डिजिटल फास्टिंग की सलाह देते हैं।
डिजिटल फास्टिंग के फायदें -
1.डिजिटल फास्टिंग को अपने रूटीन में शामिल करने से आपके रिश्ते मजबूत बन सकते है
2.प्रोडक्टिव काम कर पाते हैं
3.आपकी सेहत भी अच्छी रहती है
4.आपको बेहतर कामों के लिए समय मिल जाता है
5.फोकस बनता है।