Darsh Amavasya on 29th or 30th November, remove confusion in one click : दर्श अमावस्या पर पितरों को श्रद्धांजलि देने का महत्व है। इस दिन लोग पितरों के लिए तर्पण और दान करते हैं। यह दिन व्रत और उपवासी रहने का भी होता है ताकि पितर और आत्माओं को शांति मिल सके। इसे पितृ अमावस्या भी कहा जाता है। दर्श अमावस्या की रात में दीप जलाना भी एक प्रमुख परंपरा है। विशेष रूप से घरों में दीप जलाने से अंधकार दूर होता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में इस दिन विशेष पूजा के विधान बताए गए हैं। आइए जानते हैं...
दर्श अमावस्या की तिथि
द्रिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की दर्श अमावस्या तिथि की शुरुआत 30 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू होगी जबकि, अमावस्या तिथि की समाप्ति 1 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर होगी। ऐसे में उदया तिथि की मुताबिक दर्श अमावस्या 30 नवंबर दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी।
दर्श अमावस्या पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल में स्नान करें। यदि संभव हो तो गंगा, यमुना, या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करें। घर की सफाई करें। विशेष रूप से पूजा स्थल को स्वच्छ रखें। इस दिन पितरों को तर्पण देना बहुत महत्वपूर्ण होता है। श्रद्धापूर्वक जल, तिल, कुशा, आंवला और अन्य सामग्री लेकर पितरों का स्मरण करें।
घर के आंगन में तर्पण करें
घर में पूजा स्थल पर दीपक जलाकर ॐ नमः शिवाय, ॐ त्र्यंबकं यजामहे मंत्र का जप करें। घर में दीपक और धूप जलाकर पूजा करें। दीपक को घर के मुख्य स्थान, मंदिर और दरवाजों पर रखें। इस दिन गरीबों को दान लाभकारी होता है। पुण्य की प्राप्ति होती है और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। घर के आंगन में तर्पण करें।
दर्श अमावस्या के उपाय
कौओं को भोजन खिलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं। दर्श अमावस्या के दिन गाय को चारा खिलाने से पितर प्रसन्न होते हैं। दान करने से पुण्य मिलता है और पितरों को शांति मिलती है। श्राद्ध करने से पितरों का पिंडदान होता है और उन्हें मुक्ति मिलती है। इस दिन धार्मिक स्थलों पर जाकर पूजा-अर्चना करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
दर्श अमावस्या का महत्व
दर्श अमावस्या का दिन पितृ तर्पण, पुण्य कार्य और शांति की प्राप्ति के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन पितृ दोष निवारण के लिए विशेष पूजा-पाठ किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन पितरों को तर्पण देने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
चंद्र देव और पितृ तर्पण
यह दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। इस दिन चंद्र देव की पूजा और पितृ तर्पण किया जाता है। इस दिन दान करना भी पुण्यदायी माना जाता है। परिवार के सदस्यों के पुण्य लाभ और पितृ लोक की शांति के लिए यह दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।