देश की राजधानी इस समय जल संकट से गुजर रही है। राजधानी के कई इलाकों में पानी की भीषण कमी हो गई है। जिसकी वजह से अब विपक्ष लगातार आम आदमी पार्टी की सरकार को घेर रहा है। अब इंडिया गठबंध में साथ रहने वाली कांग्रेस और आप के खिलाफ कांग्रेस ने आज मटका फोड़ प्रदर्शन किया। दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने इस प्रदर्शन की अगुवाई की।
वहीं, बीजेपी ने भी इस पर जमकर तंज कसा है। बीजेपी ने कहा कि चुनाव से पहले पानी की समस्या थी लेकिन अब आवाज इसलिए नहीं उठाई गई क्योंकि दोनों ही पार्टियां इंडिया गठबंधन में थी। उस समय सीटों के बंटवारे की बात हो रही थी। इसलिए कांग्रेस ने तब पानी की समस्या का मुद्दा नहीं उठाया।
गूंगी बहरी सरकार को जगाने के लिए किया जा रहा प्रदर्शन
उधर, कांग्रेस ने कहा है कि अगर हरियाणा और उत्तर प्रदेश दिल्ली को पानी नहीं दे रहे हैं तो केंद्र सरकार को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए। गूंगी-बहरी सरकार को जगाने के लिए मटका फोड़ प्रदर्शन किया जा रहा है।
हरियाणा-यूपी पानी नहीं दे रहे, केंद्र हस्तक्षेप करें
देवेंद्र यादव और उनके साथ कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली राज्य और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा पिछले कुछ दिनों से, दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार आरोप-प्रत्यारोप का खेल खेल रही हैं। दिल्ली के जल संकट का कोई समाधान नहीं दिया गया है। अगर हरियाणा या यूपी पानी नहीं दे रहे हैं तो केंद्र सरकार को हस्तक्षेप करना चाहिए और समाधान पेश करना चाहिए।
कुछ लोगों ने मकान तक बेचे
बता दें कि पानी की किल्लत ने लोगों की जिंदगी को कई तरह से प्रभावित किया है। पानी की होने वाली चिकचिक से कुछ लोगों ने मकान तक बेच दिए। वहीं कई इस वक्त ग्राहक की तलाश कर रहे हैं। स्थानीय निवासी आनंद कुमार की मानें तो दिक्कत साल भर रहती है, लेकिन इस बार की गर्मी ने सारी हदें पार कर दी हैं। बाजार तक में पानी मुश्किल हो गया है।
पानी के संकट को लेकर दिल्ली सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 13 जुलाई को सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा है कि राज्यों के बीच यमुना जल के बंटवारे से जुड़ा मामला काफी जटिल मुद्दा है। टैंकर माफिया पर हम कोई एक्शन नहीं ले सकते क्योंकि टैंकर माफिया यमुना नदी के हरियाणा की ओर सक्रिय है।
बंटवारे मामला यमुना बोर्ड पर छोड़ देना चाहिए
दिल्ली का जल संकट एक बार फिर गंभीर मुद्दे के रूप में सामने आया है, राजधानी की जल मंत्री आतिशी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इन जटिल मुद्दों के समाधान के लिए, ठीक तीन दशक पहले 1994 में ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (यूवाईआरबी) का गठन किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पानी के बंटवारे का मामला अपर यमुना रिवर बोर्ड पर छोड़ दिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यमुना बोर्ड को कल सभी पक्षों के साथ बैठक बुलाने और मामले पर जल्द निर्णय लेने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट के पास फॉर्मूला तय करने की विशेषज्ञता नहीं है।
टैंकर माफिया पर दिल्ली सरकार ने कहा-
- टैंकर माफिया यमुना नदी के हरियाणा की ओर सक्रिय है, और याचिकाकर्ता के पास इसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है।
- यह हरियाणा को बताना है कि वह दिल्ली को पानी की पूरी आपूर्ति को जारी करने के बिंदु और प्राप्ति के बिंदु के बीच संरक्षित करने के लिए क्या कदम उठा रहा है।
- दिल्ली में पानी की बर्बादी को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने जो कदम उठाए है उसमें कहा कि
3 दशक पहले शुरू हुआ था मामला
दिल्ली जल संकट जो तकरीबन 3 दशक पहले शुरू हुआ था। 1995 में, दिल्ली के निवासियों के लिए पर्याप्त जल आपूर्ति तय करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था। उस समय इसके लिए प्रसिद्ध पर्यावरणविद् कमोडोर सुरेश्वर धारी सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करते हुए, सिन्हा ने संबंधित सरकारों को यमुना नदी में पानी के निरंतर प्रवाह को बनाए रखने के लिए निर्देश देने की मांग की। उनकी कार्रवाई इस गंभीर मुद्दे पर आधारित थी कि ताजेवाला हेड से पानी के कम वितरण के कारण दिल्ली के नागरिकों को पीने के पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा था।