पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान मानसा के कोटली कलां गांव में अग्निवीर अमृतपाल के घर पहुंचे। उन्होंने अमृतपाल के परिवार के साथ दुख जाहिर किया। इतना ही नहीं सेना की तरफ से गॉर्ड ऑफ ऑनर न दिए जाने को लेकर अपनी नाराजगी भी जताई और कहा कि यह शहीदों का अपमान है।
शहीद परिवारों को संभालना हमारा फर्ज
CM ने कहा कि शहीद के परिवार को एक करोड़ रुपए की आर्थिक मदद की जा रही है। हम उनकी जान को वापिस नहीं ला सकते पर आर्थिक तौर पर जरूर मदद कर सकते हैं। शहीदों के परिवारों को संभालना हमारा फर्ज है, अगर शहीदों के परिवारों को नहीं संभालेंगे तो बच्चे फौज में जाने के लिए नहीं सोचेंगे।
6 महीने में कैसे देंगे फौज की ट्रेनिंग
उन्होंने आगे कहा कि अग्निवीरों को यह 4 साल के लिए भर्ती करते हैं। जिसमें से 6 महीने ट्रेनिंग और साढ़े 3 साल कुल रखनना होता। पर 6 महीने में फौज की ट्रेनिंग कैसे दे दोगे। पटवारियों की ट्रेनिंग डेढ़ साल की होती है और कई एक साल की होती है। फौज की तो ट्रेनिंग भी सख्त होती है।
6 महीने की ट्रेनिंग और साढ़े 3 साल के बाद अग्निवीरों को कहेंगे जाओ। 22-23 साल के नौजवान न रिटायर की गिनती में आएंगे और न ही मौजूदा की गिनती में। उन्हें न ही कोई पेंशन भी मिलेगी। हद तो तब हो गई जब दुनिया से जाने वाले को सैल्यूट तक नहीं किया गया। यह शहीदों का अपमान है।
रक्षा मंत्रालय के सामने उठाउंगा मुद्दा
CM ने आगे कहा कि वह इस मुद्दे को रक्षा मंत्रालय के सामने उठाएंगे और खुद जाउंगा। हमें तो अब पता लगा कि यह अग्निवीरों को क्या समझते हैं। जैसे कच्चे टीचर सुने थे, इन्होंने ठेके के ऊपर फौजी बनाए हैं। जब हम अपना बेटा देने को तैयार है, रक्षा मंत्रालय के पास 60 फीसदी बजट भी है। देश की सीमा की रक्षा करने के लिए भी ये समझौते करने पर लगे हैं।
पंजाब सरकार दिलाएगी शहीद का दर्जा
उन्होंने कहा कि पंजाब की तरफ से हम शहीद का दर्जा दिलाएंगे, क्योंकि सरहद पर गोली यह नहीं देखती की यह अग्निवीर है या कोई दूसरा फौजी। इस तरह का बर्ताव फौज के लिए घातक है। हम केंद्र सरकार से मांग करेंगे कि अग्निवीरों को रैगुलर करो या फिर इन्हें छोड़ो। वह कुछ न कुछ जरूर कर लेंगे, आपने इन्हें न इधर का छोड़ा न ही उधर का। अब पता लग रहा है कि हमें तो सैल्यूट भी नही है।
जो फौज में जाते हैं, वह खुदकुशी नहीं कर सकते
सुसाइड वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि यह उससे भी शर्मनाक है और जख्मों पर नमक लगाने वाली बात है। वह 7 बहनों का जिम्मेदार भाई था। वह शाद के लिए आने वाली तैयारी कर रहा था। जो फौज में जाने का जिगरा रखते हैं, वह खुदकुशी नहीं कर सकते, फौज अब बहाने मार रही है। यह मामला हम केंद्र सरकार तक लेकर जाएंगे।
शहीद परमिंदर सिंह के घर भी पहुंचे CM
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान 4 अक्टूबर को कारगिल में शहीद हुए परमिंदर सिंह के घर पहुंचे। जहां उन्होंने शहीद के परिवार से मिले। परिजनों से मुलाकात के बाद सीएम ने भरोसा दिलाया कि वह उनके लिए हर संभव मदद करेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने परिवार को एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि भी दी।
छाजली गांव में बनेगा शहीद परमिंदर का स्मारक
CM भगवंत मान ने परमिंदर के परिवार से मुलाकात की और उनके दुख को बांटा। परिवार से मुलाकात करने के बाद उन्होंने कहा कि शहीद परमिंदर सिंह का गांव छाजली में स्मारक बनाया जाएगा।