British country is giving jobs to 5 lakh Indians in a year : भारत की अर्थव्यवस्था को यूनाइटेड किंगडम के साथ हुई आर्थिक पाटर्नरशिप से काफी मदद मिली है। जी हां, यूके बिजनेस ने भारत की इकोनॉमी में काफी योगदान दिया है। इतिहास में यह सच है कि दो दशकों तक भारत पर ब्रिटेन की हुकूमत रही थी, जो साल 1947 के बाद खत्म हुई है। ब्रिटेन के कोलोनियल रूल्स खत्म होने के बावजूद आज भी भारतीय मार्केट में यूके कंपनियों का काफी बड़ा रोल है। रिपोर्ट के अनुसार यूके की कंपनियां भारत में सालाना 5 लाख करोड़ का रेवेन्यू जनरेट करती है। इसके साथ ही वह 5.23 लाख से अधिक लोगों को रोजगार भी देती है। भारत और यूके के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर चर्चा हो रही है। अगर दो देशों के बीच यह समझौता हो जाता है तो यह बिजनेस के तौर पर यूके कंपनियों के लिए बड़ा अवसर होगा।
यूके कंपनी की ग्रोथ में तेजी
वर्तमान में भारत में 667 यूके की कंपनी ऑपरेट होती है। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से 162 कंपनियों का सालाना राजस्व 50 करोड़ रुपये से अधिक रहता है। साल-दर-साल पर इनमें 10 फीसदी की दर से ग्रोथ होती है। ये कंपनियां मुख्य रूप से एजुकेशन, टेक्नॉलजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की है। ये सभी कंपनियां भारत की ग्रोथ को बढ़ाने में मदद कर रही हैं।
आगे भी तेजी से बढ़ेगी ग्रोथ
इस एग्रीमेंट के बाद यूके की कई कंपनियां भारत में स्थापित होंगी। ग्रांट थॉर्नटन इंडिया की इंडिया-यूके कॉरिडोर की हेड पल्लवी बखरू के अनुसार एफडीए केवल बिजनेस के विस्तार के लिए ही जरूरी नहीं है। बल्कि इससे भारत आर्थिक तौर पर कई लक्ष्यों को आसानी से हासिल कर पाएगा। यह एग्रीमेंट वर्ष 2070 तक कार्बन तटस्थता को हासिल करने में भी मदद करेगा। यूके रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर के एक्सपर्ट माने जाते हैं जो भारत के एनर्जी सेक्टर के लिए फायदेमंद रहेगा।
यूके कंपनियों की पसंद महाराष्ट्र
यूके की कंपनियां निवेश के लिए महाराष्ट्र राज्य की तरफ काफी आकर्षित हैं। अगर बात करें को 36 फीसदी यूके कंपनियां महाराष्ट्र में स्थित है। बाकी कंपनियां दिल्ली-एनसीआर, कर्नाटक और तमिलनाडु से ऑपरेट होती हैं। एक बात गौर करने की है कि यूके की 63 फीसदी कंपनियां भारत के एसएमई सेक्टर जैसे- इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट, मीडिया, टेलीकॉम और टेक्नॉलजी सेक्टर में एक्टिव हैं।
लंबे समय तक चलेगी ये पार्टनरशिप
रिपोर्ट के अनुसार यूके कंपनियां केवल रेवेन्यू जनरेट करने के लिए ही नहीं, बल्कि भारत की इकॉनोमिक ग्रोथ के लिए भी काफी अहम है। इनके लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के कारण भारत में इकोनॉमिक डेवल्पमेंट हो पा रहा है। भारत और यूके अपने इकोनॉमिक रिश्ते को मजबूत करेंगे और आगामी सालों में कई नए एवन्यू के लिए कोलैबोरेट करेंगे, जो भारत को आर्थिक तौर पर मदद करेगा।