जालंधर, शहर में ई-रिक्शा और ऑटो-रिक्शा की भरमार हो चुकी है। ये लोग रिक्शा खरीद कर सीधा सड़कों पर उतार रहे हैं। अधिकतर रिक्शा चालकों के पास लाइसेंस ही नहीं है। अब सरकार ने फैसला लिया है कि ई-रिक्शा और ऑटो रिक्शा बना लाइलेंस के नहीं चलाए जा सकेंगे। इन चालकों को अब लाइसेंस बनवाना जरूरी होगा।
जिसके लिए अब रिजनल ट्रांसपोर्ट अधिकारी (RTO) दफ्तर की तरफ से 5 अगस्त से विशेष अभियान शुरू कर रहा है। इसके तहत जिन ई-रिक्शा और ऑटो रिक्शा चालक के पास लाइसेंस नहीं है, उनका लर्निंग लाइसेंस बनवाया जाएगा। इसकी जानकारी आर.टी.ओ अमनप्रीत सिंह ने दी।
बिना लाइसेंस के न हो कोई चालक
इस संबंध में रीजनल ट्रांसपोर्ट अधिकारी अमनप्रीत सिंह ने बताया कि ई-रिक्शा और ऑटो-रिक्शा चालकों को लर्निंग लाइसेंस बनाने में सहयोग देने के लिए RTO दफ्तर विशेष अभियान चलाने जा रहा है। इस दौरान जिन ई-रिक्शा और ऑटो रिक्शा चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है, वे लर्निंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस पहल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शहर की सड़कों पर ई-रिक्शा और ऑटो-रिक्शा चलाने वाला प्रत्येक चालक एक लाइसेंस प्राप्त चालक हो।
ARTO विशाल गोयल नोडल अफसर बनाए
आर.टी.ओ अमनप्रीत सिंह ने बताया कि ARTO विशाल गोयल को इस अभियान को उचित ढंग से चलाने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इससे पहले उन्होंने इस मुद्दे पर विभिन्न एसोसिएशनों के साथ बैठक भी की ताकि इस पहल का लाभ जमीनी स्तर तक पहुंचाया जा सके।
ऑटोमेडेट ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर स्थापित होगा विशेष काउंटर
उन्होंने आगे बताया कि लर्निंग लाइसेंस बनाने में मदद के लिए ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर एक विशेष काउंटर स्थापित किया जा रहा है, जहां एक समर्पित कर्मचारी तैनात किया जाएगा ताकि आवेदकों को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
प्राथमिकता के आधार पर होगा टेस्ट
आरटीओ ने कहा कि लर्निंग लाइसेंस के लिए ई-रिक्शा और ऑटो-रिक्शा चालकों का टेस्ट प्राथमिकता के आधार पर लिया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि लर्निंग लाइसेंस 180 दिन के लिए बनता है और लर्निंग लाइसेंस बनने के 30 दिन बाद वाहन चालक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं।