Ban on Religious Activities : ग्रहों के राशि परिवर्तन यानी ग्रह गोचर का सभी राशियों के लोगों पर सकारात्मक और नकारात्मक असर पड़ता है। इसका ज्योतिष में विशेष महत्व है। उतना ही महत्वपूर्ण है ग्रहों का उदय और अस्त होना। ऐसे ही शुभ ग्रह देव गुरु बृहस्पति 2024 में अस्त होने वाले हैं। मान्यता है कि इस समय मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। ज्योतिष के अनुसार मंद गति से चलने वाले ग्रहों में शनि के बाद बृहस्पति का नंबर आता है। बृहस्पति एक राशि से दूसरी राशि में जाने में में तकरीबन 13 महीनों का समय लेते हैं, साल वर्ष 2023 में 22 अप्रैल को गुरु का गोचर मीन राशि से मेष राशि में हुआ था। अब गुरु दैत्य गुरु शुक्र की राशि वृषभ में 1 मई 2024 को दोपहर 2.29 बजे गोचर करने वाले हैं।
दो दिन बाद अस्त हो जाएंगे गुरु
गुरु के राशि परिवर्तन के साथ ही दो दिन बाद बेहद अहम खगोलीय घटना होने वाली है। बृहस्पति गोचर के ठीक 2 दिन बाद यानी की 3 मई को देर रात 10.08 बजे गुरु अस्त हो जाएंगे और 1 महीने बाद 3 जून को प्रातः 3.21 बजे उदित होंगे। सनातन धर्म में गुरु अस्त होने पर कोई शुभ या मांगलिक कार्य नहीं होता। इससे एक महीने बाद जब गुरु उदित होंगे, उसके बाद ही विवाह जैसे मांगलिक कार्य शुरू होंगे।
गुरु ग्रह करेंगे स्थिति में बदलाव
गुरु गोचर के बाद भी समय-समय पर गुरु स्थितियों में बदलाव करेंगे। 2024 में 9 अक्टूबर को सुबह 10.01 बजे गुरु वक्री हो जाएंगे और उनकी यह वक्री चाल 4 फरवरी 2025 को दोपहर 1.46 बजे तक रहेगी।
कौन से कार्य नहीं हो पाएंगे
ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय के अनुसार शुभ ग्रह शुक्र और बृहस्पति के अस्त होने की अवस्था में की भी मांगलिक कार्य नहीं होता। इस समय न तो शादी विवाह होंगे और न ही मुंडन और उपनयन। इस समय न कोई संपत्ति खरीदी जाती है। मान्यता है शुभ ग्रह गुरु के अस्त होने पर इनकी शक्तियां क्षीण रहती हैं। इससे इनका आशीर्वाद नहीं मिल पाता, जिससे शुभ काम में बाधा आ सकती है। बाद में भी यह कार्य सकारात्मक फल नहीं देते।